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प्रश्न :
सुप्रीम कोर्ट का कथन है कि वरिष्ठ नागरिकों और बुजुर्गों को प्रदान किये गए अपर्याप्त कल्याणकारी अधिकारों की जवाबदेही में सरकार ‘आर्थिक बजट’का बहाना नहीं बना सकती है। देश में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी को देखते हुए उनके अधिकारों को संविधान में नई परिस्थितियों के अनुरूप परिभाषित करना आवश्यक हो गया है। कथन की विवेचना करें।
07 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
भूमिका:
सुप्रीम कोर्ट के हालिया बयान को उदृधत करते हुए उत्तर प्रारंभ करें-वरिष्ठ नागरिकों और बुजुर्गों के अधिकारों के संरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का कथन है कि वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिये एक अर्थपूर्ण पेंशन दिये जाने की आवश्यकता है।
विषय-वस्तु
विषय-वस्तु के मुख्य भाग में सुप्रीम कोर्ट के बयान एवं अधिनियम के प्रावधानों को स्पष्ट करेगें-- सुप्रीम कोर्ट के कथानानुसार राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि सम्मान से जीवन जीने का अधिकार जिसमें आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, कपड़े एवं बुजुर्गों के लिये अर्थपूर्ण पेंशन शामिल है, को न सिर्प सुरक्षित किये जाने की आवश्यकता है बल्कि सभी नागरिकों को यह सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिये और इनका लागू होना भी ज़रूरी है। कोर्ट द्वारा बुज़ुर्गों के पेंशन, आश्रय, वृद्ध-चिकित्सा देखभाल, चिकित्सीय सुविधा एवं माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के क्रियान्वयन हेतु कई बार निर्देश जारी किये जा चुके हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रत्येक ज़िले में वृद्धाश्रमों की संख्या के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करने हेतु केंद्र सरकार का आदेश दिया है। साथ ही केंद्र सरकार को प्रत्येक ज़िले के वरिष्ठ नागरिकों हेतु उपलब्ध चिकित्सा और देख-भाल सुविधाओं के बारे में राज्यों से विवरण प्राप्त करने का भी आदेश दिया है। बुज़ुर्ग, वृद्धाश्रम और आवास की अनुपस्थिति में दुर्घटनाओं एवं अन्य अप्रत्याशित घटनाओं हेतु सुभेद्य हो जाते है। शीर्ष अदालत ने एक पैसले में वरिष्ठ नागरिकों और बुजुर्गों को पेंशन के रूप में भुगतान किये जाने वाले मामूली भत्ते पर भी आश्चर्य जताया है। साथ ही यह निर्देश भी दिया है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द 2007 के अधिनियम के प्रावधानों को लागू करें और राज्य सरकारों द्वारा भी ऐसा करने को सुनिश्चित करें।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007
- इसके तहत गरिमा, स्वास्थ्य और आश्रय प्राप्त करना हर वरिष्ठ नागरिक का वैधानिक अधिकार है।
- गरिमा, स्वास्थ्य और आश्रय तीन ऐसे महत्त्वपूर्ण घटक है, जो अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार को भी संदर्भित करते हैं।
- वरिष्ठ नागरिक (जिनकी उम्र 60 वर्ष से ऊपर हो) जो स्वयं के अर्जन या स्वयं द्वारा अर्जित संपत्ति द्वारा खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ है, भरण-पोषण कानून के तहत आवेदन करने के हकदार है।
- जिन वरिष्ठ नागरिकों के स्वयं के बच्चे नहीं है वे उन व्यस्क रिश्तेदारों द्वारा भरण-पोषण का दावा कर सकते है जो उनकी संपत्ति के हकदार होंगे।
- 2007 के अधिनियम के अनुसार प्रत्येक ज़िले में एक ऐसे वृद्धाश्रम की स्थापना की जाएगी, जिसमें कम-से-कम 150 गरीब वरिष्ठ नागरिकों को आवास की सुविधा दी जाएगी।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-बुज़ुर्गों की आबादी, जो 1951 में 1.98 करोड़ थी 2011 में बढ़कर 10.38 करोड़ हो गई है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण तथा कल्याण के लिये संविधान के अधीन गारंटीकृत और मान्यता प्राप्त उपबंधों के लिये पूर्व के अधिनियमों में निर्दिष्ट प्रावधानों को लागू किया जाए तथा आवश्यकतानुसार संशोधन द्वारा उन उपबंधों को सुदृढ़ करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाया जाए।
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