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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित 18वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) पर प्रकाश डालते हुए वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद की कार्यप्रणाली पर चर्चा करें।

    05 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    भूमिका:


    भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली ‘वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट’ के बारे में बताते हुए उत्तर प्रारंभ करें-

    वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) एक अर्द्धवार्षिक प्रकाशन है जो भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता का समग्र मूल्यांकन प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करती है।

    विषय-वस्तु


    विषय-वस्तु के पहले भाग में वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट की मुख्य बातों पर प्रकाश डालेंगे-

    वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, वित्तीय स्थिरता के संदर्भ में जोखिम के आकलन के साथ-साथ वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद के आकलन को दर्शाती है।

    • प्रणालीगत जोखिमों का समग्र आकलन: वैश्विक आर्थिक वातावरण और वित्तीय क्षेत्र में उभरती चुनौतियों के बावजूद यह भारत की वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन पर वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद के आकलन को दर्शाती है।
    • प्रणालीगत जोखिमों का समग्र आकलन: वैश्विक आर्थिक वातावरण और वित्तीय क्षेत्र में उभरती चुनौतियों के बावजूद भारत की वित्तीय प्रणाली स्थिर बनी हुई है और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के संकेत मिले हैं।
    • वैश्विक और घरेलू समष्टि-वित्तीय जोखिम: 2018-19 के लिये वैश्विक विकास का दृष्टिकोण स्थिर बना हुआ है लेकिन अंतनिर्हित नकारात्मक जोखिम में वृद्धि हुई है।
    • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के कड़े वित्तीय प्रतिबंधों; संरक्षणवादी व्यापार नीतियों और वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव के कारण उभरने वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिये जोखिम में वृद्धि हुई है।
    • वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के कारण उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की मौद्रिक नीति के सामान्यीकरण के चलते उभरते बाज़ारों का पूंजी प्रवाह प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकता है।
    • घरेलू वित्तीय बाज़ारों में ऋण मध्यस्थता में संरचनात्मक बदलाव और बैंकों तथा गैर-बैंकों के बीच विकसित अंतर्संबंध अधिक सतर्कता बरतने की ओर इशारा करते हैं।

    वित्तीय संस्थाएँ : कार्य निष्पादन और जोखिम

    • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCB) की क्रेडिट वृद्धि में सुधार हुआ है, जो मुख्यत: निजी क्षेत्र के बैंकों में दिखाई दे रहा है।
    • बैंकों की परिसंपत्ति की गुणवत्ता में सुधार आया है जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की सकल और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (GNPA) में गिरावट के कारण होने वाले सुधार से संभव हुआ है।

    निष्कर्ष


    अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

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