‘‘भारत की प्राचीन सभ्यता मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस की सभ्यताओं से इस बात में भिन्न है कि भारतीय उपमहाद्वीप की परंपराएँ आज तक भंग हुए बिना परिरक्षित की गई है।’’ टिप्पणी कीजिये।
01 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
मिस्र, मेसोपोटामिया और ग्रीस की सभ्यताओं के बारे में बताते हुए उत्तर प्रारंभ करें।
मिस्र, मेसोपोटामिया, ग्रीस तथा प्राचीन भारतीय की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में प्रमुख हैं। भारत की प्राचीन सभ्यता से अलग विश्व की ये प्राचीन सभ्यताएँ या तो नष्ट हो गईं या फिर प्रतिस्थापित कर दी गईं। इसके विपरीत भारतीय उपमहाद्वीप की परंपराएँ आज तक भंग हुए बिना परिरक्षित की गई हैं।
विषय-वस्तु के पहले भाग में भारत की प्राचीन सभ्यता की तुलना अन्य सभ्यताओं से करेंगे-
मिस्र की प्राचीन सभ्यता में लोग प्रकृति-पूजक और बहुदेववादी थे, लेकिन वर्तमान में यहाँ इस्लामी एकेश्वरवाद आ चुका है। इसी प्रकार ‘ममी’ के रूप में शवों को संरक्षित करने की विधि तथा अन्य कलाएँ लुप्त हो चुकी हैं; लेकिन भारत में सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर वर्तमान समय तक मातृदेवी, पशुपति शिव जैसे देवताओं की पूजा अनवरत जारी है। साथ ही वैदिक सभ्यता के धार्मिक कर्मकांड जैसे- यज्ञ और हवन आज भी प्रचलित हैं। यहाँ तक कि सामाजिक व्यवस्था के रूप में वर्ण व्यवस्था भी किसी-न-किसी रूप में विद्यमान है। यथा- पर्यावरण के विभिन्न उपागम, जैसे- सूर्य, वृक्ष, पशु-पक्षी, नदी आदि। पूजन व शवाधान की प्राचीन परंपराएँ आज भी जारी है।
इसी प्रकार मेसोपोटामिया की सभ्यता जो कि विश्व की सर्वाधिक उन्नत सभ्यताओं में से एक थी, अब नष्ट हो चुकी है। इसी तरह ईसाई धर्म के उदय ने यूनानी सभ्यता के बहुदेववादी स्वरूप व संस्कृति में व्यापक परिवर्तन कर संस्कृति की तारतम्यता को खंडित कर दिया है। लेकिन भारत में आज भी गुप्त काल से पहले प्रारंभ हुई मंदिर निर्माण की कला और संस्कृति न सिर्फ संरक्षित है बल्कि अविरल है।
मिस्र व अन्य सभ्यताओं की प्राचीन भाषाएँ, जैसे- कौटिक आदि लगभग विलुप्त हो गई हैं, लेकिन भारत में संस्कृत व तमिल भाषाएँ आज भी प्रयोग की जा रही हैं, साथ ही भारत की वर्तमान लिपियों का आधार भी ब्राह्मी लिपि ही है। इस तरह भाषा और लिपि के स्तर पर भी भारतीय संस्कृति में निरंतरता का भाव है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में भारतीय सभ्यता के बारे में थोड़ी और चर्चा करेंगे-
भारतीय सभ्यता में धर्म, रीति-रिवाज व परंपरा में अद्भुत समन्वय है। भारत में प्राचीनकाल के खान-पान, पहनावे व शृंगार की विभिन्न पद्धतियों का वर्तमान भारतीय संस्कृति पर अमिट छाप है। ये रीति-रिवाज और परंपराएँ लोगों की जीवनशैली के भाग हैं। इसी कारण विदेशी लोगों, धर्मों व परंपराओं से भी सामंजस्य स्थापित कर यह उनको अपने में समाहित कर लेती है। इसी तरह यूनानी, मंगोल, इस्लामी आदि विदेशी के रूप में भारत आए लेकिन भारतीय संस्कृति ने उन्हें भी अपने में समाहित कर लिया।
अंत में संतुलित, संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-
भारतीय संस्कृति अपने में सहिष्णुता, आध्यात्मिकता और भौतिकवाद में अद्भुत सामंजस्य, नैतिकता व ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के भाव को संजोए हुए है, साथ ही भारतीय संस्कृति उदारता तथा समन्वयवादी गुणों के साथ अन्य संस्कृतियों को अपने में समाहित कर परंपरागत अस्तित्व के साथ कालजयी बनी हुई है।