कृषि विकास में भूमि सुधारों की भूमिका की विवेचना कीजिये। भारत में भूमि सुधारों की सफलता के लिये उत्तरदायी कारकों को चिह्नित कीजिये।
27 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
भू-सुधार शब्द को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारंभ करें-
भू-सुधारों का अर्थ है भू-संपत्ति का न्यायसंगत पुनर्वितरण, जिससे कृषि मज़दूरों, भूमिहीन लोगों को भी भूमि का मालिकाना हक प्राप्त हो सकें।
विषय-वस्तु के मुख्य भाग में भारत में भू-संपत्तियों की असमानता पर चर्चा करते हुए भूमि सुधारों के बारे में बताएँगे-
ब्रिटिश काल में भारत में भू-संपत्तियों में अत्यधिक असमानता थी, जिसका मुख्य कारण औपनिवेशिक शासन की अन्यायपूर्ण नीतियाँ थीं, जिसकी वज़ह से एक तरफ ज़मींदारों एवं संपन्न वर्ग के पास अत्यधिक ज़मीनें थी, जबकि ज़्यादातर कृषक भूमिहीन थे। भूमि के इस असमान वितरण ने कृषि क्षेत्र को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया।
अत: कृषि में संरचनात्मक परिवर्तन एवं उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भूमि सुधारों को व्रियान्वित करने का प्रयास किया गया। भारत में स्वतंत्रता पश्चात् से निम्न भूमि सुधार हुए हैं, जिनसे कृषि विकास में सहायता मिली है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में भारत में भूमि सुधारों की सफलता के लिये उत्तरदायी कारकों पर चर्चा करेंगे-
भारत में भूमि सुधारों की सफलता के लिये उत्तरदायी कारक-
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-
उपरोक्त भूमि सुधार एवं उसके सकारात्मक प्रभावों के बावजूद कुछ कमियाँ व्याप्त है, जिसके कारण ऐसा माना जाता है कि भारत में भूमि सुधार संबंधी कानूनों का व्रियान्वयन सही ढंग से नहीं हुआ है। आज भी भारत में बड़ी संख्या में भूमिहीनता, जोतों का छोटा होना एवं प्रतिव्यक्ति कम उत्पादकता बड़ी समस्या बनी हुई है, जिनके समाधान हेतु एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।