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प्रश्न :
भारतीय चित्रकला की शक्ति का अंत:स्रोत भारत की परंपराएँ हैं। अजंता चित्रकला के संदर्भ में इस कथन की विवेचना करें।
27 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृतिउत्तर :
भूमिका:
भारतीय चित्रकला के बारे में संक्षिप्त रूप में बताते हुए उत्तर प्रारंभ करें-प्रत्येक समाज की चित्रकला विशिष्ट होती है और वह अपनी ऊर्जा स्थानीय परंपराओं से ग्रहण करती है। भारतीय चित्रकला भी इसका अपवाद नहीं है।
विषय-वस्तु
विषय-वस्तु के पहले भाग में हम भारतीय चित्रकला की विशेषताओं पर चर्चा करेंगे-भारतीय चित्रकला में धार्मिक प्रभाव, कल्पनाशीलता, आदर्शवाद, प्रतीकात्मकता, प्रकृति का चित्रण, पात्रविधान, शारीरिक मुद्राएँ इत्यादि विशेषताएँ प्रभावी रही है। भारतीय चित्रकला में रेखा को प्रधान माना गया है और चित्र बनाने के बाद उस पर नाम का अंकन नहीं किया गया, खासकर पुराने चित्रकारों ने। अजंता, बाघ आदि गुफाओं में भगवान बुद्ध के जीवन को उकेरा गया है जिसका प्रेरणास्रोत धर्म था। साथ ही हम पाते हैं कि भगवान बुद्ध से जुड़ी कथा के चित्र कल्पना-प्रसूत है। सृष्टि के संहार और सृजन को कलाकारों ने अपनी कल्पनाशक्ति के माध्यम से एक छोटे चित्र में उकेर कर अपनी प्रतिभा की उत्कृष्टता प्रस्तुत की है। भारतीय कला में यथार्थवादिता की बजाय आदर्शवादिता का प्रभाव ज़्यादा है जिसमें आदर्श राजा या प्रकृति के विचार को अपनाया गया है। भारतीय चित्रकला में प्रतीकात्मकता का अधिक प्रयोग हुआ है। भारतीय चित्रकला में शारीरिक मुद्राओं के ज़रिये आकृति की व्यंजना की जाती है और भावों की अभिव्यक्ति होती है। अजंता में इनका प्रयोग बखूबी देखने को मिलता है।
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में अजंता चित्रकला की विशेषताओं को चर्चा के केंद्र में रखेंगे-
महाराष्ट्र में सह्याद्रि की पहाड़ियों में स्थित अजंता में कुल 30 गुफाएँ हैं। अजंता की गुफाओं में जो चित्र बनाए गए हैं, वे बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। गुफाओं की दीवारों तथा छतों पर बनाए गए चित्रों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चित्र जातक कथाओं से जुड़े हुए हैं।
अजंता चित्रकला की विशेषताएँ
- गुफाओं की दीवारों तथा छतों पर बनाए गए चित्रों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण चित्र जातक कथाओं (भगवान बुद्ध के पूर्वजन्मों की बेहद लोकप्रिय कहानियों) से जुड़े हुए है।
- अजंता की गुफा संख्या 9 से 10 में प्राचीनतम चित्रकलाएँ हैं, जिनकी समानता अमरावती की मूर्तिकला और सातवाहन काल की मानव आकृतियों की वेशभूषा, आभूषणों तथा जातीय विशेषताओं से हैं।
- गुफा संख्या 16, 17 के चित्र पाँचवीं सदी के दौरान बने हैं, इनमें आंध्र और वाकाटक शासकों की चर्चा भी है।
- 16वीं गुफा में सर्वश्रेष्ठ चित्र मरणासन्न राजकुमारी तथा महात्मा बुद्ध के उपदेश का है।
- गुफा संख्या 1, 2 और 5 के चित्र 5वीं-6वीं सदी में यानी सबसे बाद में बने हैं।
- इन गुफाओं में अत्यधिक अलंकरण और आभूषणीय अभिकल्पों के साथ जातक कथाओं को चित्रित किया गया है।
- गुफा संख्या 1 में पद्मपाणि अवलोकितेश्वर, मार-विजय तथा चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय और ईरान के ससानी साम्राज्य के बादशाह खुसरो द्वितीय के साथ दूतों के आदान-प्रदान का भी चित्र है।
- अजंता की चित्रकलाओं में रेखाओं के ज़रिये गहरे चमकदार गुलाबी, भूरे, सिंदूरी, हरे आदि रंगों से ऐसे चित्र बनाए गए हैं जिनकी चमक हज़ारों साल बाद भी बरकरार है।
- अजंता के चित्रों की एक खास विशेषता इसके पात्रों का स्वभाविक चित्रण है।
निष्कर्ष
अंत में संतुलित, संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
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