आदर्श आचार संहिता के बारे में बताते हुए इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दृष्टिकोण को स्पष्ट करें। साथ ही आदर्श आचार संहिता की विशेषताओं को बताते हुए उन विभिन्न तकनीकों का वर्णन करें जो आचार चुनाव संहिता के उद्देश्यों को मजबूत बनाते हैं।
22 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
आदर्श आचार संहिता के बारे में बताते हुए उत्तर प्रारंभ करें-
आदर्श आचार संहिता वे दिशा-निर्देश होते हैं जो चुनाव की तारीख का एलान होते ही लागू हो जाते हैं और जिनका पालन सभी राजनीतिक पार्टियों को करना होता है।
विषय-वस्तु के पहले भाग में आदर्श आचार संहिता और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के नज़रिये को स्पष्ट करें-
आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिये आचरण और व्यवहर का पैमाना माना जाता है। इसका मकसद चुनाव प्रचार अभियान को निष्पक्ष और साफ-सुथरा बनाना तथा सत्ताधारी राजनीतिक दलों को गलत तरीके से फायदा उठाने से रोकना है। इसके अलावा इसका मकसद सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोकना भी है।
आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी बल्कि सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनी और विकसित हुई है। चुनाव आयोग समय-समय पर आदर्श आचार संहिता को लेकर राजनीतिक दलों से चर्चा करता रहता है ताकि इसमें सुधार की प्रव्रिया बराबर चलती रहे। सुप्रीम कोर्ट के 2001 में दिये एक फैसले के अनुसार, चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख से आदर्श आचार संहिता को लागू माना जाता है। यह सभी उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों तथा संबंधित राज्य सरकारों पर तो लागू होती ही है, साथ ही संबंधित राज्य के लिये केंद्र सरकार पर भी लागू होती है।
आदर्श आचार संहिता की विशेषताएँ
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम चुनाव आयोग द्वारा प्रयोग की जा रही तकनीकों के बारे में बताएंगे-
अंत में संतुलित, संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
आदर्श आचार संहिता चुनाव सुधारों से जुड़ा एक अहम मुद्दा है जिससे चुनावों में सुधार का रास्ता खुलता है। लेकिन यह भी देखा गया है कि इसके लागू हो जाने के बाद एक-दो महीने तक सरकारी कामकाज़ ठप पड़ जाते है और भारी मात्रा में पैसे की भी बर्बादी होती है। गौरतलब है कि हमारे देश में पूरे साल कहीं-न-कहीं चुनाव होते ही रहते हैं, इसलिये 1999 में विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में देश भर में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसके अलावा, लोकतंत्र के इस उत्सव को सफल बनाने में चुनाव आयोग की कोशिशों के साथ-साथ देश के नागरिकों की भी यह जवाबदेही है कि इसे सफल बनाएँ।