भारत के राजनीतिक गतिरोध को दूर कर द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत का समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजा गया ‘क्रिप्स मिशन’ भारतीय राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में क्यों असफल सिद्ध हुआ?
03 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर की रूपरेखा
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द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जहाँ एक ओर दक्षिण-पूर्व एशिया में ब्रिटेन को करारी हार का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी ओर, भारत पर जापान के आक्रमण का भय दिनों-दिन बढ़ता जा रहा था। ब्रिटेन पर मित्र राष्ट्रों (अमेरिका, सोवियत संघ और चीन) की ओर से दबाव डाला जा रहा था कि वह भारत का समर्थन प्राप्त करे परंतु भारतीयों ने समर्थन देने के बदले शर्त रखी थी कि सरकार ठोस उत्तरदायी सत्ता का त्वरित हस्तांतरण करे तथा विश्वयुद्धोपरांत भारत को पूर्ण आज़ादी देने का वचन दे।
इस पृष्ठभूमि में भारत के राजनीतिक गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने ब्रिटिश संसद सदस्य तथा मज़दूर नेता सर स्टैफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में मार्च 1942 में एक मिशन भारत भेजा। सर क्रिप्स, ब्रिटिश मंत्रिमंडल के सदस्य भी थे तथा उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का सक्रियता से समर्थन किया था।
क्रिप्स मिशन की योजना के प्रमुख प्रस्तावः
(i) संविधान निर्मात्री परिषद द्वारा निर्मित संविधान जिन प्रांतों को स्वीकार नहीं होगा, वे भारतीय संघ से पृथक होने के अधिकारी होंगे। पृथक होने वाले प्रांतों को अपना पृथक संविधान बनाने का अधिकार होगा। देशी रियासतों को भी इसी प्रकार का अधिकार होगा।
(ii) नवगठित संविधान निर्मात्री परिषद तथा ब्रिटिश सरकार सत्ता के हस्तांतरण तथा प्रजातीय व धार्मिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के मुद्दे को आपसी समझौते द्वारा हल करेंगे।
‘क्रिप्स मिशन’ की राष्ट्रवादियों को संतुष्ट करने में विफलता के कारण
कान्ग्रेस ने ‘मिशन’ द्वारा भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के स्थान पर डोमिनियन स्टेट्स का दर्जा दिये जाने, देशी रियासतों के प्रतिनिधियों के लिये निर्वाचन की जगह मनोनयन की व्यवस्था, प्रांतों को भारतीय संघ से पृथक होने व पृथक संविधान बनाने की व्यवस्था के विरोध में मिशन के प्रस्तावों को अस्वीकार किया। इसके अतिरिक्त, सत्ता के त्वरित हस्तांतरण की योजना के अभाव तथा प्रतिरक्षा के मुद्दे पर वास्तविक भागीदारी न होने और गवर्नर जनरल को पूर्ववत् सर्वोच्चता दिये जाने से भी कान्ग्रेस रुष्ट थी।
मुस्लिम लीग को ‘मिशन’ के प्रावधानों में एकल भारतीय संघ की व्यवस्था होना स्वीकार्य नहीं था, और न ही संविधान निर्मात्री परिषद के गठन का आधार स्वीकार्य था। दूसरा, क्रिप्स मिशन के प्रस्तावों में मुसलमानों के आत्मनिर्धारण के सिद्धांत तथा पृथक पाकिस्तान की मांग को भी स्वीकारा नहीं गया था।
कान्ग्रेस व लीग के अतिरिक्त अन्य दलों ने भी प्रांतों को संघ से पृथक होने का अधिकार दिये जाने का विरोध किया। गांधी जी ने क्रिप्स के प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि "यह आगे की तारीख का चेक था, जिसका बैंक नष्ट होने वाला था।"