- फ़िल्टर करें :
- अर्थव्यवस्था
- विज्ञान-प्रौद्योगिकी
- पर्यावरण
- आंतरिक सुरक्षा
- आपदा प्रबंधन
-
प्रश्न :
आपदाओं का पूर्वानुमान एवं उसके प्रभावी प्रबंधन के वैश्विक प्रयास, आपदाओं की आवृत्ति एवं परिमाण के सापेक्ष निम्नतर साबित हो रहे हैं। वर्ष 2017 में आए हरिकेन एवं चक्रवातों के आलोक में उक्त कथन की विवेचना कीजिये।
15 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधनउत्तर :
आपदाएँ प्रकृति में असंतुलन के कारण उत्पन्न होती हैं, यद्यपि ये मानव निर्मित भी होती हैं, तथापि ये ऐसी घटनाएँ होती हैं जिनसे जान-माल का खतरा उत्पन्न होता है। भूकम्प, सुनामी, हिमस्खलन, भूस्खलन, ज्वालामुखी, बाढ़, चक्रवात आदि आपदाएँ वैश्विक स्तर पर किसी-न-किसी रूप में मानव सभ्यता को क्षति पहुँचाती हैं। हालाँकि तूफान, चक्रवात जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान लगाना बहुत कठिन होता है फिर भी वर्तमान में उपग्रहीय आँकड़ों का अध्ययन करके चक्रवात, हरिकेन आदि आपदाओं का पूर्वानुमान संभव हुआ है। चूँकि मौसमी स्थितियाँ वैश्विक मौसमी परिस्थितियों से प्रभावित होती हैं, इसलिये इनके लिये वैश्विक सहयोग अपरिहार्य है।
लेकिन हाल ही में आपदाओं एवं उनके प्रभावी प्रबंधन की भविष्यवाणियाँ, इन आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता के संबंध में अक्षम साबित हुई हैं, विशेषकर तूफान और चक्रवात के मामले में। वर्ष 2017 में भारतीय और साथ-ही-साथ वैश्विक परिप्रेक्ष्य में तूफान और चक्रवातों की घटनाआें में तेजी देखी गई है। सामान्यतः सरकार एवं आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ आपदाओं के पूर्वानुमान के आधार पर इनसे निपटने के लिये तैयारियाँ करती हैं किंतु ये एजेंसियाँ सटीक पूर्वानुमान कर पाने में असफल सिद्ध हुई हैं।
इसके विभिन्न कारणों का निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है-
- वैश्विक तापन के कारण महासागरीय जल अधिक गर्म हो रहा है, जिससे चक्रवातों की शक्ति संबंधी गुप्त उष्मा का ड्डोत बढ़ जाता है। ऐसी परिघटना सैटेलाइटों द्वारा नहीं मापी जा सकती।
- वैश्विक स्तर पर विभिन्न आपदा प्रबंधन एजेंसियों के मध्य समन्वय का अभाव।
- एल-नीना और ला-नीना के कारण भी चक्रवात एवं हरिकेन जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान करने में समस्या आती है।
- हाल ही में ‘हार्वे’ और ‘इश्मा’ 130 मील प्रति घंटे की रफ्रतार से अमेरिकी तट पर टकराए और 155 मील प्रति घंटे की रफ्रतार से हरिकेन ‘मारिया’ ने प्यूर्टो रिको के तट पर क्षति पहुँचाई। चक्रवात ‘ओखी’ ने भारत के पश्चिमी तट पर क्षति पहुँचाई। इन चक्रवातों एवं हरिकेन द्वारा पहुँचाई गई क्षति एजेंसियों के पूर्वानुमानों से कहीं अधिक थी।
निष्कर्षतः
कहा जा सकता है कि यद्यपि चक्रवात एवं हरिकेन जैसी प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, किंतु इनसे उत्पन्न खतरों एवं क्षति को पर्याप्त प्रबंधन द्वारा कम अवश्य किया जा सकता है। विभिन्न वैश्विक एजेंसियों के मध्य पर्याप्त समन्वय, स्पष्ट उत्तरदायित्व जिससे प्रभावित देशों को तुरंत मदद मिल सके, पूर्वानुमान तकनीकों के उन्नयन आदि प्रयासों के द्वारा उक्त समस्याओं से निपटा जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print