विशिष्ट लक्ष्य समूहों के आहार में महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की कमी सार्वभौमिक रूप से विद्यमान है जिसकी पहचान के लिये ‘भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक पैनल का गठन किया है। भारत में कुपोषण की स्थिति के संदर्भ में उक्त कथन का विवेचन करें एवं इसके समाधान के रूप में ‘फूड फोर्टीफिकेशन’ की भूमिका का परीक्षण करें।
15 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाहाल ही में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिये रणनीति बनाने तथा खाद्य पदार्थों के फोर्टिफिकेशन पर विनियमन के फ्रेम बनाने के लिये वैज्ञानिक पैनल का गठन किया गया है, जिससे विशिष्ट लक्ष्य समूहों- बच्चों, गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं आदि के लिये पोषक आहार की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसारः
एक अन्य आँकड़े के अनुसार आयरन की कमी से 20 प्रतिशत महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा, ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2017 में भारत का 100वाँ स्थान इसके कुपोषण की समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।
इस समस्या से निपटने में फूड फोर्टिफिकेशन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
फूड फोर्टिफिकेशन एक कृत्रिम प्रक्रिया है। इसके माध्यम से खाद्य पदार्थों में प्रमुख विटामिन एवं मिनरल्स को मिलाकर उनके पोषक तत्त्वों में सुधार किया जाता है।
यह भारत में कुपोषण की स्थिति से निपटने में निम्नलिखित प्रकार से सहायक हो सकता हैः
निष्कर्षतः कह सकते हैं कि फूड फोर्टिफिकेशन भारत में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिये एक प्रगतिशील एवं स्वीकार करने योग्य प्रक्रिया है इससे एक स्वस्थ एवं कुपोषण मुक्त समाज के निर्माण में मदद मिलेगी।