‘भारतीय तटीय क्षेत्र एवं संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र’ आज किस प्रकार के संकटों से ग्रसित है? इसके समाधान में तटीय क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम की भूमिका का परीक्षण करें।
14 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणभारत के पास लगभग 7500 कि.मी. तटीय सीमा है, जिसमें 10 नौवहन मील का आंतरिक क्षेत्र और 200 नौवहन मील का अनन्य आर्थिक क्षेत्र शामिल है। यह विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा मत्स्य पालन केंद्र है। भारतीय तटरेखा देश की लगभग 30% जनसंख्या का भरण-पोषण करती है लेकिन वर्तमान में भारतीय तटरेखा दोहरी समस्याओं का सामना कर रही है। प्रथम, औद्योगिक और शहरी विकास के कारण दबाव और द्वितीय, पर्यावरण परिवर्तन के कारण उत्पन्न दबाव।
भारतीय तटीय क्षेत्रें की समस्याओं को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है-
उक्त समस्याओं के निराकरण के लिये भारत सरकार ने विश्व बैंक से प्राप्त वित्तीय सहायता से ‘तटीय क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम’ प्रारंभ किया है। इसका क्रियान्वयन 2010-15 के मध्य किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य तटीय क्षेत्रें की विविध आवश्यकताओं की धारणीय तरीके से पूर्ति करना है। इसमें विकास के साथ सुभेद्य पारिस्थितिकी को संरक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्यक्रम तटीय क्षेत्रें के संरक्षण के लिये क्षमता निर्माण और सूचना डेटा बेस का निर्माण कर रहा है। इसके साथ ही धारणीय विकास प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना भी की जा रही है।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि भारत में तटीय क्षेत्र समाजार्थिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण है। पर्यावरण परिवर्तन और विकास प्रक्रियाओं के कारण इन पर दबाव बना है। इस दबाव को समाप्त करने के लिये सरकार ने तटीय क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम प्रारम्भ किया है, जो मील का पत्थर सिद्ध होगा।