भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग का गठन भारतीय अर्थव्यवस्था में ‘सबको समान अवसर प्रदान करने’ के उद्देश्य से किया गया है। इस आयोग की संरचना एवं प्रकार्यों पर चर्चा कीजिये।
31 Mar, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाजनवरी, 2003 में ‘प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम 2002’ लागू करने के पश्चात् केन्द्र सरकार ने अक्तूबर, 2003 में ‘भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) की स्थापना की। इसकी स्थापना के पीछे मूल उद्देश्य अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा का सृजन करना था। वर्ष 2007 में मूल अधिनियम में कुछ संशोधन भी किये गए हैं।
संरचनाः
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग में केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं। प्रतिस्पर्द्धा आयोग चार प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केन्द्रित करता है-
1. प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी समझौते
2. उद्यमियों द्वारा अपनी महत्त्वपूर्ण स्थिति (dominant Position) का दुरूपयोग
3. अधिग्रहण और संयोजन
4. प्रतिस्पर्द्धा हिमायती वातावरण
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के कार्यः
अपने गठन के उद्देश्यों के अनुरूप ही सीसीआई के कार्य सुनिश्चित किये गए हैं। इसके कार्यों में सम्मिलित हैं-
स्पष्ट है कि उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण के वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग जहाँ उत्पादकों के लिये ‘एक समान अवसर की स्थिति’ उपलब्ध कराता है, वहीं उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी सुनिश्चित करता है। आयोग यह भी सुनिश्चित करता है कि आम आदमी को अति प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर सभी प्रकार की वस्तुएँ और सुविधाएँ प्राप्त हो सकें।