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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत-बांग्लादेश संबंधों की प्रगाढ़ता की राह में तीस्ता नदी जल विवाद एक बड़ा अवरोध है। भारत-बांग्लादेश के ऐतिहासिक संबंधों के आलोक में इस मुद्दे पर चर्चा करें।

    08 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    बांग्लादेश को आजाद कराने में सबसे अहम योगदान देने के बावजूद भारत के संबंध बांग्लादेश के साथ प्रगाढ़ता के उस स्तर तक नहीं पहुँच पायें हैं जिस स्तर पर दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे पर आँख मूंदकर भरोसा किया जा सके। इस अविश्वास/जटिल संबंधों की पृष्ठभूमि में अनेक कारण हैं, यथा- बांग्लादेश का यह मानना कि भारत ने उसे आछाादी पाकिस्तान के संदर्भ में खुद के हित साधने के लिये दिलायी थी, वर्तमान में दोनों देशों के मध्य सीमा-विवाद, न्यू मूर द्वीप की समस्या, शरणार्थी समस्या तथा इस्लामिक आतंकवाद आदि। किंतु, इन सभी समस्याओं के अतिरिक्त ‘तीस्ता नदी जल विवाद’ दोनों देशों के मध्य संबंधों की प्रगाढ़ता में एक बड़ा अवरोध रहा है।

    तीस्ता नदी जल विवादः
    सिक्किम की पहाड़ियों से निकलकर भारत में लगभग 300 किलोमीटर का सफर करने के बाद तीस्ता नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है। बांग्लादेश का करीब 14 फीसदी इलाका सिंचाई के लिये इसी नदी के पानी पर निर्भर है तथा बांग्लादेश की 7.3 फीसदी आबादी को इस नदी के माध्यम से प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।

    1983 में तीस्ता के पानी के बँटवारे पर एक तदर्थ समझौता हुआ था जिसके तहत बांग्लादेश को नदी जल का 36 प्रतिशत  तथा भारत को 39 प्रतिशत पानी के इस्तेमाल का हक मिला। बाकी 25 प्रतिशत पानी का आवंटन नहीं किया गया। वर्ष 2010 में दोनों देशों ने एक नए समझौते के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी थी और वर्ष 2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ढाका दौरे के दौरान दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व के मध्य इस नदी के जल बँटवारें के नए फॉर्मूले पर सहमति भी बनी थी किन्तु, पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध की वजह से समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो पाये। जानकारों के अनुसार नए समझौते के प्रारूप में बांग्लादेश को नदी जल का 48 फीसदी पानी मिलना था किन्तु प. बंगाल सरकार के अनुसार इससे राज्य के 6 उत्तरी जिलों की सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो जाती। इसीलिये प. बंगाल की मुख्यमंत्री को यह समझौता मंजूर नहीं था।

    वर्तमान स्थितिः
    पश्चिम बंगाल सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति से अध्ययन कराने के पश्चात् बांग्लादेश को मानसून के दौरान नदी का 35 या 40 फीसदी पानी तथा सूखे के दौरान 30 फीसदी पानी देने का प्रस्ताव रखा, जिसे बांग्लादेश ने नामंजूर कर दिया। बांग्लादेश ज्यादा पानी मांग रहा है जो कि तीस्ता पर उनकी निर्भरता देखते हुए उचित भी कहा जा सकता है, परन्तु बंगाल सरकार इसके लिये तैयार नहीं है।

    तीस्ता नदी जल समझौता वर्तमान में दोनों देशों के लिये एक अहम राजनीतिक जरूरत है क्योंकि जहाँ इस समझौते से भारत को बांग्लादेश में चीन के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाने हेतु रणनीतिक लाभ की स्थिति प्राप्त होगी वहीं वर्तमान बांग्लादेशी सरकार को घरेलू राजनीति में विरोधियों द्वारा भारत के साथ देश की सम्प्रभुता की कीमत पर द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने के आरोप से छुटकारा मिलेगा। अतः उचित यही रहेगा कि उचित तरीके से जल्दी-से-जल्दी यह विवाद खत्म हो।

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