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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) अधिनियम, 2017 के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए इस अधिनियम का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।

    10 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    27 मार्च, 2017 को माननीय राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के पश्चात् प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) अधिनियम, 2017 लागू हो गया यह अधिनियम कामकाजी महिलाओं के हित में उठाया गया एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण कदम है। यह अधिनियम श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा लागू कराया जाएगा।

    अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँः

    • इस कानून/अधिनियम अनुसार अब कामकाजी महिलाओं का प्रसूति अवकाश पूर्व के 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह (पहले दो बच्चों के जन्म पर) कर दिया गया है। दो बच्चों के बाद यदि कोई बच्चा होता है तो उस स्थिति में यह अवकाश 12 सप्ताह का होगा।
    • बच्चे को गोद लेने वाली माताओं को 12 सप्ताह का अवकाश प्रदान किया जाएगा।
    • इस अधिनियम के प्रावधान सरकारी व निजी क्षेत्र (संगठित क्षेत्र) में कार्यरत महिलाओं पर लागू होंगे।
    • जिस संगठन में 50 से अधिक कर्मचारी कार्य करते हों, वहाँ के नियोक्ता महिला कर्मचारियों के बच्चे के लिये क्रेच (Creche) की सुविधा उपलब्ध कराएंगें।
    • माँ को ‘क्रेच सुविधा’ में कार्य-समय (Working hours) के दौरान 4 बार जाने की अनुमति होनी चाहिये ताकि वह बच्चे की देखभाल कर सके व उसे दूध पिला सके।
    • यदि कार्य की प्रकृति ऐसी हो कि महिला घर से भी कार्य कर सके (work from home) हो तो नियोक्ता को उसे ऐसा करने की अनुमति देनी चाहिये।  
    • महिलाओं को उनकी नियुक्ति के वक्त ही प्रसूति अवकाश सुविधा संबंधी प्रावधानों के बारे में बताया जाना चाहिये।

    अधिनियम का समालोचनात्मक मूल्यांकनः
    यह अधिनियम संगठित क्षेत्र की महिलाओं के लिये बहुत लाभप्रद है। उन्हें ‘मातृत्व अवकाश’ के साथ-साथ वेतन भी मिलेगा। क्रेच सुविधा होने से महिलाएँ अपने बच्चों को सही वक्त पर दूध पिला सकेंगी, जिससे बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, महिलाएँ अपने ‘कार्य’ में ध्यान लगा पाएंगी तथा महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ेगी।

    परंतु, इस अधिनियम द्वारा केवल संगठित क्षेत्र की महिलाएँ लाभांवित होंगी, असंगठित क्षेत्र की महिलाओं को कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। इस कानून से नियोक्ताओं पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा जिसके चलते वे अपने संगठन में अधिक महिलाओं की नियुक्ति करने से हिचकेंगे। जिन नियोक्ताओं के पास पुरुष कार्यबल ज़्यादा होगा वो प्रतिस्पर्द्धा में ज़्यादा महिला कार्यबल रखने वाले नियोक्ताओं से बेहतर स्थिति में होंगे। इस कानून में यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि महिला ‘क्रेच’ में प्रत्येक बार कितनी देर तक बच्चे के पास रूक सकती है।

    निष्कर्षतः यह अधिनियम महिलाओं के हित में एक क्रांतिकारी पहल है परंतु यदि इसमें असंगठित क्षेत्र की कामकाजी महिलाओं को रखा जाता तभी यह अपने मूल उद्देश्य में पूर्ण सफल हो पाता। दूसरा, सरकार को चाहिये कि कोई ऐसा कोष बनाया जाए जिससे नियोक्ताओं पर ज़्यादा वित्तीय दबाव न पड़े और वे महिलाओं को अपने संगठन में लेने से न हिचकें।

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