लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    राज्य विधान परिषदें महज खर्चीली और अनावश्यक विधायी अंग है। इस संदर्भ में विधान परिषदों की उपयोगिता की जाँच करें। साथ ही इनके गठन एवं विघटन के प्रक्रियागत पहलुओं का उल्लेख करें।

    12 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत राज्यों में विधान परिषदों के गठन का प्रावधान है। वर्तमान में भारत के सात राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर तथा कर्नाटक में विधान परिषदें अस्तित्व में हैं। किसी राज्य की विधान परिषद् को केंद्र की राज्य सभा की तरह ही समझा जाता है लेकिन इसका संरचना व कार्य राज्य सभा से अलग होते हैं।

    विधानपरिषदों को महज खर्चीली व अनावश्यक विधायी अंग बताने के पीछे निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं-

    • अधिकांश राज्यों में इसके सदस्य संख्या को बहुमत वाले दल के द्वारा ही भरा जाता है। इस तरह यह एक ‘डिट्टो चैंबर’ के तरह ही होता है।
    • इसकी कल्पना पुनरीक्षणकारी सदन के रूप में की गई थी लेकिन शायद ही कोई विधान परिषद् विधान सभा पर अंकुश लगाने में सफल हो पाती है। क्योंकि उसे सामान्य परिस्थिति में किसी विधेयक को तीन माह तक एवं विधेयक को दोबारा विधानसभा द्वारा पारित होने पर एक माह और रोकने का अधिकार है।
    • इसे विधान सभा के चुनाव में हारे हुए सदस्यों हेतु ‘बैक डोर एन्ट्री’ के रूप में भी देखा जाता है। इसके अतिरिक्त यह राज्यों की विधायी प्रक्रिया में अनावश्यक देरी भी लगाता है जिससे विधान परिषद् की ‘निलंबनकारी प्रकृति’ उजागर होती है।

    इन सबके बावजूद विधान परिषद् किसी विधेयक को चार माह तक रोक कर कुछ हद तक पुनरीक्षणकारी भूमिका निभाता है और विधान सभा को जल्दबाजी में लिये गए निर्णयों पर पुनर्विचार का अवसर प्रदान करता है। इसके साथ ही राज्य विधान परिषद् राज्य के विभिन्न वर्गों, बुद्धिजीवियों आदि को विधानमंडल का हिस्सा बनाती है जिससे विधि-निर्माण में व्यापक जन हिस्सेदारी को बढ़ावा मिलता है।

    विधानपरिषद् के गठन एवं विघटन की प्रक्रियाः

    किसी राज्य में विधान परिषद् के गठन एवं विघटन हेतु प्रस्ताव सर्वप्रथम संबंधित राज्य के विधान सभा द्वारा विशेष बहुमत से पारित कर संसद को भेजा जाता है। इसके उपरांत संसद विधान सभा के प्रस्ताव पर सृजन या उत्सादन हेतु अंतिम निर्णय करती है। लेकिन जम्मू और कश्मीर के संविधान की धारा 46 राज्य विधान मंडल के द्विसदनीय होने की बात करती है तथा धारा 50 में विधान परिषद् के संघटन (Composition) के संबंध में प्रावधान हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2