एन. के. सिंह की अध्यक्षता में गठित FRBM पैनल की सिफारिशों का उल्लेख करें एवं यह भी बताएँ कि मुख्य आर्थिक सलाहकार ने इन सिफारिशों से असहमति क्यों दिखाई है?
उत्तर :
जनवरी, 2017 में एन. के. सिंह की अध्यक्षता में गठित FRBM पैनल ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट को अप्रैल, 2017 में सार्वजनिक किया गया जिसमें निम्नलिखित सिफारिशें की गई थीं-
- वित्तीय ढांचे के भीतर नीति-निर्माताओं को लचिलापन प्रदान करने के उद्देश्य से पैनल ने सुझाव दिया है कि वित्तवर्ष 2018-20 तक राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) को 3% पर स्थिर कर लिया जाए एवं 2023 तक इसे घटाकर 2.5% तक लाया जाए।
- राजस्व घाटा- GDP अनुपात (Revenue deficit to GDP ratio) में प्रतिवर्ष 0.25% अंको तक कमी की जाए एवं 2023 में इसे 0.8% तक लाया जाए।
- पैनल ने एक राजकोषीय परिषद् (Fiscal council) के गठन का सुझाव दिया है जो एक स्वतंत्र निकाय होगी एवं किसी भी दिये गए वर्ष के लिये सरकार की राजस्व घोषणाओं की निगरानी करेगी।
- इनके अलावा ‘राहतकारी अनुच्छेद (Escape Clause)’ का भी प्रावधान है जो सरकार को राजकोषीय दिशानिर्देशों से एक वर्ष में अधिकतम 0.5% विचलन की अनुमति प्रदान करेगा। इस प्रावधान को राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए रखा गया है। (जैसे- युद्ध की स्थिति, राष्ट्रीय स्तर की आपदाएँ एवं कृषि का विनाश जिससे कि कृषि उत्पादन एवं आय गंभीर रूप से प्रभावित होती हो।)
किंतु, इन सिफारिशों से मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने एक नोट प्रस्तुत कर असहमति जताई है क्योंकि उनका मानना है कि ये सिफारिशें नीति-निर्माण के कार्य को मुश्किल बना देगी अतः नीति निर्माताओं का ध्यान राजकोषीय घाटे के बजाय प्राथमिक घाटे को कम करने पर होना चाहिए।