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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    संसद द्वारा पारित 'HIV विधेयक, 2017' के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए भारत में HIV कानून की प्रासंगिकता बताएँ।

    17 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हाल ही में संसद द्वारा ‘HIV और AIDS (रोकथाम एवं नियंत्रण) विधेयक, 2017' पारित किया गया है जिसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-

    • यह HIV और AIDS से संक्रमित व्यक्तियों के खिलाफ किसी भी प्रकार के भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है। सार्वजनिक सुविधाओं, जैसे- शैक्षणिक प्रतिष्ठानों, स्वास्थ्य केंद्रों, दुकानों, हॉटल आदि में HIV/AIDS संक्रमित व्यक्तियों के साथ अनुचित व्यवहार नहीं किया जा सकता।
    • HIV पीड़ित व्यक्तियों का गोपनीयता का अधिकार- किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति और न्यायालय के आदेश के बिना अपनी HIV स्थिति को उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। HIV पीड़ितों की जानकारी रखने वाले प्रतिष्ठानों के लिए डेटा संरक्षण उपायों को अपनाना अनिवार्य किया गया।
    • केंद्र एवं राज्य सरकारों की भूमिका- केंद्र एवं राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे HIV/AIDS को फैलने से रोकने के उपाय करें, HIV/AIDS पीड़ितों को एंटी रिट्रोवायरल थेरेपी (ART) प्रदान करें एवं उनकी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच सुनिश्चित करें।
    • लोकपाल (Ombudsman) की भूमिका- प्रत्येक राज्य द्वारा एक लोकपाल नियुक्त किया जाएगा जो इस अधिनियम के उल्लंघन की जांच करेगा।
    • संरक्षण (Guardianship)- 12 से 18 वर्ष के बीच का व्यक्ति जो HIV/AIDS से संक्रमित व्यक्ति से संबंधित मामलों को समझने और प्रबंधित करने की परिपक्वता रखता हो, 18 वर्ष से कम उम्र के अपने HIV/AIDS पीड़ित भाई/बहन का संरक्षक घोषित किया जा सकता है।
    • न्यायालय की कार्रवाई- HIV पॉजिटिव व्यक्तियों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा।

    भारत में HIV कानून की प्रासंगिकता

    • भारत विश्व में तीसरा सबसे बड़ा HIV/AIDS ग्रस्त देश है जहाँ लगभग 21 लाख व्यक्ति HIV से पीड़ित है।
    • HIV/AIDS से पीड़ित व्यक्तियों को सामाजिक भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। अतः उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कानून की आवश्यकता थी।
    • एंटी रिट्रोवायरल थेरेपी (ART) के माध्यम से HIV/AIDS संक्रमित रोगियों की संख्या में कमी दर्ज की गई है लेकिन अभी भी केवल 43% व्यस्क रोगी ही ART के दायरे में है।

    निष्कर्षः यह कानून देश में न केवल सामाजिक न्याय व मानवाधिकारों को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक पटल पर अन्य देशों के लिए एक उदाहरण भी प्रस्तुत करेगा।

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