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प्रश्न :
वित्त विधेयक, 2017 द्वारा प्रस्तावित संशोधनों में एक महत्त्वपूर्ण संशोधन भारत में न्यायाधिकरणों (Tribunals) का पुनर्गठन करना है। न्यायाधिकरणों के पुनर्गठन की आवश्यकता क्यों है और इससे क्या प्रभाव पड़ेगा?
18 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
वित्त विधेयक, 2017 में प्रस्तावित संशोधनों में से एक संशोधन के माध्यम से सरकार ने विभिन्न मामलों के लिए बनने वाले अनेक न्यायाधिकरणों का विलय करने का निर्णय लिया है। साथ ही, सरकार को न्यायाधिकरणों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति, कार्यकाल एवं निष्कासन के लिए मापदण्ड तैयार करने की अनुमति होगी तथा उनकी सेवा-शर्तों पर निर्णय लेने का भी अधिकार होगा।
पुनर्गठन की आवश्यकता क्यों?- कुछ न्यायाधिकरणों में मामलों की अधिकता, न्याय में विलंब और सुनवाई की धीमी रफ्तार जैसी समस्याएँ दिखाई देती है।
- कुछ न्यायाधिकरण ऐसे भी हैं जिनके पास लंबे समय से कोई केस नहीं आया है।
- न्यायाधिकरणों की बढ़ती संख्या सरकार पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डालती है।
न्यायाधिकरणों के पुनर्गठन का प्रभाव-
- कई अधिकारों के विलय से बने अधिकरण पर कार्य के अत्यधिक बोझ पड़ने की संभावना बढ़ जाएगी।
- सदस्यों की नियुक्ति, कार्यकाल एवं हटाने के संबंध में सरकार को व्यापक अधिकार देने से न्यायाधिकरण का स्वतंत्र कार्य प्रभावित होगा।
- सकारात्मक प्रभाव यह होगा कि पुनर्गठन प्रशासनिक उद्देश्यों में तेजी लाएगा, विवादों के समाधान को गति देगा एवं सरकार के अनावश्यक व्यय को नियंत्रित करेगा।
निष्कर्षः इस प्रकार सरकार के इस कदम से मितव्ययता एवं विवाद निपटाने में तीव्रता को तो बढ़ावा मिलेगा लेकिन न्यायाधिकरणों की स्वतंत्रता, उनकी जटिल मामलों के संबंध में विशिष्टता को देखते हुए सावधानीपूर्वक समीक्षा के पश्चात् ही उन्हें सुव्यवस्थित करना बेहतर होगा।
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