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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    राजनीतिक दलों की फंडिंग के संबंध में केंद्रीय बजट 2017 में प्रस्तावित चुनावी बॉन्ड क्या है तथा यह इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? विवेचना करें।

    22 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    केंद्रीय बजट 2017 में चुनावी वित्त पोषण में सुधार के एक मार्ग के रूप में ‘चुनावी बॉन्ड’ को प्रस्तावित किया गया। अब सरकार ने एक योजना शुरू करने की तैयारी की है जिसमें चुनावी बॉन्ड को एक विशेष भुगतान साधन (bearer instrument) के रूप में प्रस्तुत किया जिसमें जो बॉन्ड खरीदार अपनी पहचान गुप्त रख सकेंगे और राजनीतिक दलों को दिये जाने वाले अनुदान की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा सकेगा।

    चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दलों को अनुदान देने के लिये एक वित्तीय साधन है जिसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जारी किया जाएगा। दानकर्ता यह बॉन्ड डिजिटल माध्यम अथवा चेक के माध्यम से इन बैंकों से खरीद सकता है एवं इसे किसी राजनीतिक दल को प्रदान कर सकता है। निर्धारित समय सीमा के भीतर राजनीतिक दल इस बॉन्ड को अपने बैंक खाते के माध्यम से धन में रूपांतरित करवा सकते हैं।

    चुनावी बॉन्ड महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
    वर्तमान में अधिकांश राजनीतिक दलों को प्राप्त अनुदान का अधिकांश हिस्सा अज्ञात स्रोतों से नकद में प्राप्त होता है। ‘ऐशोसिएशन फोर डेमोक्रेटिक रिफोर्म (ADR)’ के अनुसार पिछले 11 वर्षों में हुई कुल पार्टी फंडिंग का लगभग 70% हिस्सा अज्ञात स्रोतों में आया है। यद्यपि 20,000 ` से अधिक का अनुदान लेने पर राजनीतिक दल को आयकर विभाग को रिपोर्ट करना पड़ता था अतः राजनीतिक दलों का रूझान इससे छोटी राशि के रूप में अनुदान प्राप्त करने का रहा है। (इस कारण, यह सीमा घटा दी एवं अब 2,000 ` से अधिक की राशि को नकद में प्राप्त नहीं किया जा सकता)। अतः चुनावी बॉन्ड का विचार दानकर्ता को अपनी पहचान गुप्त रखते हुए बैंकिंग मार्ग अपनाने के लिये प्रोत्साहित करेगा। इस प्रकार यह पार्टी फंडिंग में पारदर्शिता लाएगा।

    किंतु, चुनावी बॉन्ड में कई कमियाँ भी है। यहाँ दान दाता की पहचान को मतदाताओं एवं पार्टी से गुप्त रखा गया है जो मतदाता के लिये पारदर्शिता नहीं बढ़ाएगा। दूसरा, चुनावी बॉन्ड के माध्यम से आयकर छूट प्राप्त नहीं की जा सकेगी अतः दानकर्ता को आयकर में छूट प्राप्ति एवं अपनी पहचान गुप्त रखने में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा। साथ ही, यद्यपि पार्टी को दानकर्ता की पहचान की जानकारी नहीं होगी, लेकिन बैंक को उनकी पहचान की जानकारी होगी।

    निष्कर्षः इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि चुनावी बॉन्ड एक सार्थक पहल है लेकिन इसके माध्यम से फंडिंग से संबंधित सभी समस्याओं को समाप्त नहीं किया जा सकता।

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