दक्षिण चीन सागर में संबंध में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (P.C.A) द्वारा दिये गए निर्णय पर चीन की प्रतिक्रिया अन्य महाशक्तियों द्वारा समय-समय पर पी.सी.ए. के निर्णयों/आदेशों की अवहेलना करने कीशृंखला की अगली कड़ी मात्र है। चर्चा करें।
27 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधहेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने कहा है कि चीन द्वारा दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के अनन्य आर्थिक क्षेत्र में उसके मछुआरों को मछली पकड़ने से रोकने, फिलीपींस के पैट्रोलियम अन्वेषण की प्रक्रिया में बाधा पहुँचाने, उस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण करने तथा चीन के मछुआरों को उस क्षेत्र में मछली पकड़ने से न रोकने से फिलीपींस के संप्रभुता अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। अतः चीन को चाहिये कि वह उस क्षेत्र में ऐसी गतिविधियाँ न करे जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुद्र कानून का उल्लंघन होता हो। परंतु, चीन ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण के निर्णय को पूरी तरह नकार दिया। चीन का कहना है कि यहाँ चीन की ‘संप्रभुता’ का प्रश्न है और इस विषय पर पी.सी.ए. को निर्णय देने का अधिकार ही नहीं है।
चीन द्वारा इस प्रकार न्यायालय के निर्णय की अनदेखी की कई शक्तिशाली देशों ने आलोचना की, जिनमें अमेरिका और इंग्लैण्ड शामिल हैं। परंतु, ये देश भूल गए कि इन्होंने भी विभिन्न मौकों पर न्यायालय के निर्णयों की अनदेखी की है; यथा-
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि चीन द्वारा न्यायालय के आदेश की अवहेलना अन्य महाशक्तियों के आचरण का अनुसरण करने जैसा प्रतीत होता है। यदि विश्व की महाशक्तियाँ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रति जिम्मेदार नहीं होंगी तो विश्व-व्यवस्था में तनाव को कम करना निश्चित तौर पर बहुत कठिन कार्य रहेगा।