1 मई, 2017 से लागू हुए ‘रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट, 2016’ (RERA) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ने वाले इसके प्रभावों पर चर्चा कीजिये।
01 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउपभोक्ताओं के अधिकार की सुरक्षा और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य के साथ 9 वर्ष के इंतजार के पश्चात् ‘रियल एस्टेट एक्ट, 2016’ (RERA) 1 मई, 2017 से लागू हो गया है। इस कानून के तहत अभी केवल 13 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में ही नियमों को अधिसूचित किया गया है। इस एक्ट के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-
(i) नई परियोजनाओं के लिये बिल्डरों द्वारा खरीददारों से जो धन लिया जाएगा, उस धन के 70 प्रतिशत हिस्से को बिल्डर द्वारा एक अलग बैंक अकांउट में रखना अनिवार्य होगा तथा जो परियोजनाएँ चालू हैं उनकी 70 प्रतिशत अप्रयुक्त राशि को जमा रखना होगा।
(ii) न्यूनतम 500 वर्ग मीटर साइज के प्लॉट या आठ अपार्टमेंट के प्लॉट वाले सभी प्रोजेक्टों को नियामक प्राधिकरणों के पास पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।
(iii) देरी की स्थिति में डेवलपर्स और खरीददारों दोनों को एस.बी.आई. की ऋण दरों की सीमांत लागत से 2% ज्यादा की समान ब्याज राशि देनी होगी।
(iv) यदि इमारत में पहले पाँच सालों के दौरान कोई संरचनात्मक दोष आता है तो यह डेवलपर्स की देयता (liability) होगी।
(v) अपीलीय ट्रिब्यूनल्स और विनियामक प्राधिकरणों के आदेशों के उल्लंघन की स्थिति में डेवलपर्स को तीन साल तक की तथा एजेंटों एवं खरीददारों को एक साल तक की सजा दिये जाने का प्रावधान है।
(vi) सभी मौजूदा प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन संबंधित राज्यों के नियामक प्राधिकरणों में जुलाई, 2017 तक हो जाना चाहिये। रजिस्टर्ड प्रॉजेक्ट की पूरी जानकारी प्राधिकरण को दी जानी चाहिये।
(vii) अब मकान बनाने वाला बिल्डर, डेवलपर एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे पर नहीं लगा सकता।
विदित हो कि वर्तमान में भारत में 76 हजार रियल एस्टेट कंपनियाँ हैं। हर साल 10 लाख लोग मकान खरीदते हैं। वर्ष 2011-15 के दौरान इस क्षेत्र में 13.70 लाख करोड़ का निवेश हुआ।
सरकार का कहना है कि इस कानून के क्रियान्वयन के साथ एक ऐसे युग की शुरुआत हुई है जिसमें खरीददार बाजार का बादशाह होगा। अब डेवलपर्स पर यह बाध्यता हो गई है कि जो वो विज्ञापनों में दिखाते हैं, वो वादे पूरे करें। परंतु, यह कानून तभी सही तरीके से कार्य करेगा जब सभी राज्य बिना इस कानून की मूल भावना से छेड़छाड़ किये, इसके प्रावधानों के अनुसार ही अपने नियामक प्राधिकरणों से नियमों को लागू करायें। इससे इस क्षेत्र में निश्चित तौर पर पारदर्शिता तो बढ़ेगी ही, डेवलपर्स बिल्डर्स एवं खरीददारों की जिम्मेदारियाँ एवं जवाबदेही भी तय होगी।