चीन द्वारा प्रस्तावित वन बेल्ट वन रोड़ (OBOR) पहल भारत के आर्थिक हितों के लिये पोषक साबित हो सकती है फिर भी भारत ने अब तक इसमें शामिल होने में अपनी सहमति प्रकट नहीं की है। भारत के इस रूख की समीक्षा करते हुए बताएँ कि इस पहल के संबंध में भारत की उपयुक्त रणनीति क्या हो?
उत्तर :
वन बेल्ट वन रोड़ (OBOR) पहल चीन द्वारा प्रस्तावित एक महत्त्वाकांक्षी आधारभूत ढाँचा विकास एवं संपर्क परियोजना है जिसका लक्ष्य चीन को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के माध्यम से यूरोप, अफ्रिका और एशिया से जोड़ना है। विश्व की 70% जनसंख्या तथा 75% ज्ञात ऊर्जा भंडारों को समेटने वाली यह परियोजना चीन के उत्पादन केंद्रों को वैश्विक बाजारों एवं प्राकृतिक संसाधन केंद्रों से जोड़ेगी।
OBOR में भारत को क्यों शामिल होना चाहिये?
- भारत के पास एक प्रतिस्पर्द्धी नेटवर्क स्थापित करने के लिये संसाधनों की अपर्याप्तता है अतः वह OBOR में शामिल होकर विश्व के प्रमुख बाजारों तक अपना संपर्क बढ़ा सकता है।
- भारत, जो 2050 तक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का सपना देख रहा है, एशियन मार्केट को एकीकृत किये बिना यह संभव नहीं हो सकता।
- OBOR अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल कर रहा है तथा इसमें एशिया के लगभग सभी देश शामिल हो रहे हैं। ऐसे में भारत को इससे अलग रहकर इसके लाभों से वंचित नहीं रहना चाहिये।
- कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि भारत OBOR में शामिल नहीं होता है तो वह स्वयं को एशिया के विकास से अलग कर लेगा और धीरे-धीरे अपनी स्वीकार्यता खो देगा।
भारत ने OBOR में शामिल होने में सहमति क्यों नहीं दी?
- OBOR में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को शामिल किये जाने के कारण भारत OBOR में शामिल होने की सहमति नहीं दे रहा है। चूँकि CPEC गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजर रहा है जिसे भारत अपना हिस्सा मानता है। अतः OBOR में शामिल होने का मतलब है कि भारत द्वारा इस क्षेत्र पर पाकिस्तान के अधिकार को सहमति प्रदान कर देना, जो भारत की संप्रभुता के लिये खतरा है।
- OBOR वास्तव में चीन द्वारा परियोजना निर्यात (Project export) का माध्यम है जिसके जरिये वह अपने विशाल विदेशी मुद्रा भण्डार का प्रयोग बंदरगाहों के विकास, औद्योगिक केंद्रों एवं विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) के विकास के लिये कर वैश्विक शक्ति के रूप में उभरना चाहता है।
- 1962 के बाद से ही भारत-चीन संबंधों में प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति रही है एवं चीन ने भारत को कमजोर करने एवं घेरने का हर संभव प्रयास किया है। अतः चीन की अगुवाई में निर्मित इस परियोजना में शामिल होने के प्रति भारत आशंकित है।
उपयुक्त रणनीति क्या हो?
- भारत को OBOR को सीधे खारिज नहीं करना चाहिये और न ही उसे चीन के अधीन रहकर स्वीकार करना चाहिये। भारत को OBOR को तभी स्वीकार करना चाहिये जब चीन भारत को इस परियोजना में समकक्ष का दर्जा दे, न कि अधीनस्थ का।
- भारत को चीन के समक्ष यह शर्त रखनी चाहिये कि वह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को OBOR से पृथक करेगा। इससे भारत की संप्रभुता भी सुरक्षित रह जाएगी एवं OBOR का लाभ उठाते हुए भारत एशिया में अपनी भूमिका का भी प्रभावी निर्वहन कर सकेगा।
- इसके अलावा, भारत को उपमहाद्वीप में क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के प्रयास करने चाहिये। बांग्लादेश, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देश जो चीन के साथ अधिक एकीकृत महसूस नहीं करते, उनके साथ मिलकर भारत को क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं का विकास करना चाहिये ताकि भारत की OBOR पर निर्भरता न रहे।