उत्तर :
वर्ष 2017 के प्रारंभ में भारतीय विज्ञान के शीर्ष प्रशासकों ने ‘भारत में विज्ञान की स्थिति’ पर प्रधानमंत्री को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सौंपी। केंद्रीय विज्ञान विभागों के सचिवों द्वारा प्रस्तुत ‘विज्ञान 2030: रोज़गार, अवसर और राष्ट्रीय परिवर्तन की धुरी के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ नामक रिपोर्ट में भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करने की व्यापक योजना प्रस्तुत की गई है।
प्रमुख बिंदु
- इसकी एक प्रमुख सिफारिश थी कि एक स्वतंत्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्राधिकरण होना चाहिये जिसमें दो समानांतर शाखाएँ होनी चाहयें। इस प्राधिकरण का वैकल्पिक नाम (SPARK-Sustainable Progress Through Application of Research and Knowledge) दिया गया।
- इसकी दो शाखाओं में से एक खोज शाखा (Discovery Arm) होगी जो बुनियादी अनुसंधान समस्या को हल करने के लिये राज्यों और क्षेत्रों में विभिन्न संगठनों की विशेषज्ञता का निर्माण कर सकती है। दूसरी शाखा डिलीवरी शाखा (Delivery Arm) होगी जो उद्यमों के साथ मिलकर कार्य करेगी एवं सार्वजनिक-निजी साझेदारी विकसित करेगी।
भारतीय विज्ञान की प्रमुख विशेषताएँ
- यद्यपि भारत के पास प्रख्यात एवं अनुभवी वैज्ञानिकों की कमी नहीं है लेकिन वे देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उत्कृष्ट विकास के लिये प्रर्याप्त नहीं हैं।
- भारत में वैज्ञानिक संस्थानों में भी राजनीतिज्ञों एवं नौकरशाही का हस्तक्षेप है जो इनकी स्वायत्तता को प्रभावित कर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास को प्रभावित करता है।
- विज्ञान संस्थाएँ एवं अनेक अनुसंधान वित्त की कमी का सामना कर रहे हैं।
- स्कूल एवं कॉलेज के स्तर पर वैज्ञानिक विचारों एवं अनुसंधान परंपराओं का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया है।
- विज्ञान के विकास में लड़कियों की भागीदारी काफी कम है। यद्यपि जीव विज्ञान में लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या काफी कम है।
- उल्लेखनीय है कि भारत में विज्ञान और इंजीनियरिंग में लड़कियों का नामांकन 35% के आसपास होने के बावजूद इन क्षेत्रों में कार्यबल में लड़कियों का अनुपात केवल 12% है।
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि "अकेले विज्ञान में वह क्षमता है कि वह भूख, गरीबी, निरक्षरता आदि समस्याओं का समाधान कर सकता है। भविष्य विज्ञान का है या फिर उनका है जो विज्ञान को अपना मित्र बना सकें।"