भारत में पुलिस सुधार (Police Reform) वर्तमान युग की प्रमुख आवश्यकता है। भारतीय पुलिस के समक्ष उपस्थित चुनौतियाँ का विश्लेषण करते हुए बताएँ कि हाल ही के दिनों में भारतीय पुलिस ने तकनीक के प्रयोग की दिशा में क्या विकास किया है?
उत्तर :
पुलिस कानून प्रवर्तन एवं अपराधों का नियंत्रित कर राज्य में शांति स्थापित करने वाली प्रमुख संस्था है। इसके व्यापक महत्त्व को देखते हुए पुलिस सुधारों की मांग की जाती रही है एवं निम्नलिखित कारणों से पुलिस सुधार वर्तमान युग की सर्वप्रमुख आवश्यकता है-
- समय के साथ-साथ अपराधों की प्रकृति में बदलाव आया है। अब अपराध न केवल अधिक व्यापक हो गए हैं बल्कि उनमें तकनीकों का भी प्रचुर मात्रा में उपयोग किया जाने लगा है। अतः पुलिस संगठनों को भी तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता है।
- भारत के विस्तृत भौगोलिक आकार एवं विशाल जनसंख्या को देखते हुए यहाँ पुलिस बल की संख्या काफी कम है। भारत में 1 लाख जनसंख्या पर 140 पुलिसकर्मी हैं जो अन्य आधुनिक लोकतंत्रों की तुलना में बहुत खराब अनुपात है।
- निजी सुरक्षा एजेंसियों की अभूतपूर्व वृद्धि भी राज्य पुलिस में विश्वास की कमी को दर्शाती है।
देश में पुलिस के समक्ष चुनौतियाँ
- भारत में पुलिस के पास खुफिया आंकड़ों के एकत्रण एवं उनके विश्लेषण के लिये प्रभावी साधनों का अभाव है।
- राज्यों के अन्वेषण विभागों की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है। कई शीर्ष अन्वेषण एजेंसियों एवं पुलिस विभागों में पदों की रिक्तियाँ हैं।
- पुलिस को उपलब्ध हथियार और उपकरण पुराने, निम्न स्तरीय एवं अप्रचलित किस्म के हैं।
- पुलिस को न तो पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जा रहा है और न ही तकनीकी ज्ञान की पर्याप्त जानकारी प्रदान की जा रही है अतः वे तकनीकों का प्रभावी इस्तेमाल नहीं कर पाते।
- विभिन्न पुलिस विभागों एवं जाँच एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव है।
- पुलिस राजनीतिक हस्तक्षेप से पीड़ित है।
भारत में पुलिस द्वारा तकनीक का प्रयोग
- तकनीक के जानकार युवा भारतीय पुलिस सेवा अधिकारियों के नेतृत्व में एक कोर ने समुदाय के साथ मिलकर काम कर सरकार के लिये कम लागत में उन्नत सुरक्षा प्रयोगों को अंजाम दिया है।
- पुलिस में सभी स्तरों पर इंटरनेट के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया है। एक शाखा प्रतिदिन की पुलिस व्यवस्था में सोशल मीडिया का उपयोग करती है। कई शहरी क्षेत्रों में अपराध संबंधी घटनाओं एवं अपराधियों की जानकारी प्रदान की जाती है।
- नागरिकों को ई-मेल तथा सोशल मीडिया के माध्यम से अपराध पर रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
- प्रिंट और दृश्य मीडिया की भागीदारी के माध्यम से पुलिस को समुदाय की सुरक्षा एवं आवश्यकताओं के प्रति संवदेनशील बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
भारत में पुलिस सुधारों की दिशा में ‘प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ मामला (2006)’ मील का पत्थर है लेकिन इसके निर्देशों को लागू करने में अभी भी राज्य सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। अतः वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्देशों को लागू करना चाहिये ताकि भारतीय पुलिस भी विश्व स्तरीय बन सके।