उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर अनेक रचनात्मक निर्णय दिये हैं। किंतु, पिछले कुछ समय में उच्चतम न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर भी निर्णय दिये हैं। उदाहरणों के माध्यम से इस कथन की पुष्टि करें।
उत्तर :
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि "उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री पारित कर सकेगा या ऐसा आदेश कर सकेगा जो उसके समक्ष लंबित किसी वाद या विषय में ‘पूर्ण न्याय’ करने के लिये आवश्यक हो।" इस अनुच्छेद के आधार पर उच्चतम न्यायालय ने ‘पूर्ण न्याय करने की शक्ति’ का प्रयोग कर अनेक रचनात्मक निर्णय दिये। यहाँ ऐसे निर्णयों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है-
- ताजमहल के आसपास लगे कारखानों से निकलने वाली सल्फर के कारण इसके संगमरमर का रंग पीला होने लगा था। न्यायालय ने अपने निर्णय द्वारा ऐसे कारखानों को बंद करवाकर इस अमूल्य विरासत की मूल सुंदरता को बहाल करने का कार्य किया।
- जेलों में लंबे समय से बंद विचाराधीन कैदी, जिन्होंने उनकी संभावित अधिकतम सजा अवधि से भी अधिक समय जेलों में गुजारा था, उच्चतम न्यायालय ने सरकार को उन्हीं रिहा करने का निर्देश दिया।
- उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद-21 की विस्तृत व्याख्या कर स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार को भी इसमें शामिल कर दिया।
- भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित ‘यूनियन कार्बाइड मामले’ में पीड़ितों को 470 मिलियन $ का मुआवजा देने के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘पूर्ण न्याय’ करने के लिये वह संसद द्वारा बनाए गए कानूनों की भी अवहेलना कर सकता है।
किंतु, पिछले कुछ वर्षों में उच्चतम न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर भी निर्णय दिये हैं जिसकी संविधान विशेषज्ञों के एक वर्ग ने आलोचना भी की एवं इसे ‘शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत’ का उल्लंघन कहा। ऐसे कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में उच्चतम न्यायालय ने 2014 में वर्ष 1993 से प्राप्त कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्ध कर दिया, जबकि इस मामले में तब तक कोई जाँच नहीं हुई थी।
- हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक निर्देश के द्वारा राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों से 500 मीटर की दुरी तक शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। उच्चतम न्यायालय का यह निर्देश इस तथ्य पर आधारित था कि शराब पीकर गाड़ी चलाने से काफी संख्या में मौतें होती है जबकि आँकड़ों के अनुसार 2015 में कुल दुर्घटनाओं में से केवल 4.2% दुर्घटनाएँ ही नशे में गाड़ी चलाने से हुई।
- उच्चतम न्यायालय ने ‘बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले’ के आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले का स्थानांतरण रायबरेली से लखनऊ न्यायालय में कर दिया जबकि रायबरेली न्यायालय में यह मामला पूर्णता के नजदीक था।
यह सच है कि अनुच्छेद 142 का प्रयोग कर उच्चतम न्यायालय ने ‘पूर्ण न्याय करने’ एवं ‘प्रत्येक आँख से आँसू पोंछने’ का सराहनीय कार्य किया, फिर भी इसके ‘ज्यूडिशियल ऑवररीच’ के कारण इस व्यापक एवं असीमित शक्ति को ‘नियंत्रण एवं संतुलन’ (Checks and Balances) के अधीन लाना आवश्यक है।