इंडियन ओशन रिम एशोसिएशन (IORA) के हाल ही में जकार्ता में आयोजित शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों का उल्लेख करते हुए बताएँ कि यह संगठन भारत के लिये कितना महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर :
इंडियन ओशन रिम एशोसिएशन (IORA) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसमें भारत सहित हिंद महासागर के तटवर्ती 21 देश एवं 7 डायलोग पार्टनर शामिल हैं। इसका औपचारिक शुभारंभ मार्च 1997 में हुआ एवं 5-7 मार्च, 2017 को इसकी स्थापना की 20वीं वर्षगाँठ पर इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में इसके पहले शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।
जकार्ता शिखर सम्मेलन के परिणाम-
- इस सम्मेलन में 21 सदस्य देशों ने एक रणनीतिक विजन डॉक्यूमेंट जारी किया जिसे ‘जकार्ता एकोर्ड (Jakarta Accord) कहा गया इस डॉक्यूमेंट में जो हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिये एक व्यापक ढाँचे के निर्माण की रूप-रेखा तैयार करने के लिये सहयोग की बात की गई है।
- इस डॉक्यूमेंट का उद्देश्य गैर-पारंपरिक मुद्दों, जैसे-मानव तस्करी, अवैध मत्स्यन, ड्रग तस्करी, अवैध प्रवास आदि का समाधान भी करना है।
- शिखर सम्मेलन में आतंकवाद और हिंसक चरमपंथ को रोकने और उसका सामना करने की घोषणा पर सहमति प्रदान की गई।
- IORA ने 2017-21 के लिये अपना पहला ‘एक्शन प्लान’ तैयार किया है जिसमें अत्पावधि, मध्यावधिक एवं दीर्घावधिक पहलों को आरंभ करने के लिये रणनीति बनाई जाएगी।
IORA का भारत के लिये महत्त्व-
- IORA एक साझा मंच है जिसमें भारत सहित अफ्रिका एवं दक्षिण-पर्वी एशिया के कई देश शामिल हैं। अतः यह मंच इस क्षेत्र एवं सदस्य राष्ट्रों के संधारणीय एवं संतुलित विकास को बढ़ावा दे सकता है।
- इसके माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र के भू-राजनीतिक मुद्दों के समाधान के लिये सहयोग किया जा सकता है एवं भारत की हिंद महासागर में सशक्त उपस्थिति सुनिश्चित की जा सकती है।
- IORA के राष्ट्रों के मध्य सामुद्रिक व्यापार एवं परिवहन को बढ़ावा देकर ‘ब्लू-इकोनोमी’ (Blue-Economy) के माध्यम से आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- हिंद महासागर के संसाधनों के बेहतर प्रबंधन एवं क्षेत्रीय एकीकरण के लिये भी इस मंच का उपयोग किया जा सकता है।
- नए उभरते मुद्दों जिनसे भारत काफी प्रभावित रहा है (जैसे-आतंकवाद, ड्रग तस्करी, मानव तस्करी, नकली मुद्रा, अवैध प्रवास) आदि से निपटने में भी यह मंच उपयोगी हो सकता है।
- IORA के 6 प्राथमिकता क्षेत्र हैं, जिनमें आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर भारत अपनी सुरक्षा एवं समृद्धि सुनिश्चित कर सकता है-
(i) समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा
(ii) व्यापार और निवेश सुविधा
(iii) मत्स्यन प्रबंधन
(iv) आपदा जोखिम प्रबंधन
(v) शैक्षणिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग
(vi) पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
यद्यपि वर्तमान में यह संगठन इस क्षेत्र के मुद्दों को संबोधित करने के मामले में विश्वसनीय संगठन के रूप में नहीं उभर पाया, है फिर भी इसमें क्षेत्रीय विकास, समृद्धि, सहयोग एवं शांति को बढ़ावा देने की व्यापक संभावनाएँ हैं। इसकी सफलता एवं व्यावहारिकता भारत, इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया जैसी शक्तियों के सक्रिय प्रयासों पर निर्भर करेगी।