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प्रश्न :
हाल ही में केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (FIPB) को भंग करने की मंजूरी देना विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की दिशा में उचित कदम है। चर्चा कीजिये।
26 May, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (FIPB) वित्त मंत्रालय के ‘आर्थिक मामलों के विभाग’ में एक अंतर-मंत्रिस्तरीय निकाय है। एफआईपीबी स्वतः मार्ग के तहत न आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर विचार करता है और उनके संबंध में सरकार की मंजूरी हेतु अनुशंसा करता है। यह भारत में एफडीआई प्रस्तावों के लिये एकल खिड़की निकासी प्रदान करता है।
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एफआईपीबी को भंग करने की मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव में एफआईपीबी को भंग करने के साथ-साथ प्रशासनिक मंत्रालयों/विभागों को एफडीआई संबंधी आवेदन की प्रक्रिया के लिये सरकारी अनुमोदन की आवश्यकता को खत्म करना भी शामिल है।नई प्रक्रियाः
अब एफडीआई हेतु आवेदन की प्रक्रिया संबंधी कार्य, एफडीआई नीति एवं फेमा (F.E.M.A) के तहत सरकार की मंजूरी आदि को वाणिज्य मंत्रालय के अधीन औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग (D.I.P.P) के परामर्श से संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा निपटाया जाएगा। संबंधित मंत्रालय/विभाग मौजूदा एफडीआई नीति के तहत सरकार के निर्णय और आवेदनों की प्रक्रिया के लिये मानक संचालक प्रक्रिया (Standard Operating Procedure) भी जारी करेगा।
एफआईपीबी को भंग करने के पीछे उद्देश्यः
- विदेशी निवेशकों के लिये भारत अब निवेश के लिहाज से पहले की अपेक्षा अधिक आकर्षक स्थान बनेगा जिसके फलस्वरूप एफडीआई के प्रवाह में बढ़ोत्तरी होगी।
- यह कदम कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देगा।
- यह सरकार के ‘मैक्सिमम गवर्नेंस एंड मिनिमम गवर्नमेंट’ के सिद्धांत को भी मजबूत करता है।
- अब एफडीआई आवेदनों को संबंधित उद्योग के प्रशासनिक मंत्रालयों द्वारा स्वतंत्र रूप से निपटाया जाएगा जिससे प्रस्तावों की स्वीकृति को गति भी मिलेगी।
निष्कर्षतः सरकार द्वारा एफआईपीबी को भंग करके कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देना अधिक-से-अधिक एफडीआई आकर्षित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
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