हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने पशुओं का कल्याण और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ‘पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पशुधन बाजार के विनियमन) नियम 2017’ जारी किये हैं। इन नियमों तथा उनके क्रियान्वयन की दशा में उत्पन्न हो सकने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
उत्तर :
‘पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पशुधन बाजार के विनियमन) नियम 2017’ अधिसूचना के अंतर्गत लागू किये गए नियमों का मुख्य उद्देश्य पशु बाजार में पशुओं का कल्याण सुनिश्चित करना तथा पशुओं के आवास, भोजन भंडारण क्षेत्र, पानी की आपूर्ति, पानी की नांद, रैंप, बीमार पशुओं के बाड़े, पशु चिकित्सा देखभाल और उचित जल निकासी आदि के लिये पर्याप्त सुविधाएँ सुनिश्चित करवाना है।
अधिसूचना में शामिल नियमः
- बैल, गाय, भैंस, स्टीयर्स, हेइफर्स और ऊँट आदि मवेशियों को पशुवध के उद्देश्य से पशु बाजार में नहीं बेचा जा सकता। विक्रेता को इसकी पुष्टि के लिये एक सत्यापन देना होगा।
- नियमों में जानवरों के लिये क्रूर और नुकसानदेह प्रथाओं पर भी रोक लगाई गई है, जैसे-सीगों पर चित्रकारी, भैंसों के कानों को विशेष तरीकों से काटना, जानवरों के आराम के लिये सही सतह (Bedding Surface) न रखना शामिल है।
- पशुओं के खरीददार को यह सत्यापित करना होगा कि वह कृषिविद् है तथा इन मवेशियों को ‘वध’ या ‘धार्मिक बलि’ के लिये नहीं बचेगा। विदित हो कि मध्यस्थ व्यापारियों/दलालों द्वारा बूचड़खानों में पशुवध के लिये 90% भैंसे तो पशु बाजारों से ही खरीदी जाती है जबकि बूचड़खाने अपने लिये केवल 10% मवेशी ही सीधे किसान से खरीदते हैं।
- इन नियमों के आलोक में दो समितियाँ- पशु बाजार के पंजीकरण के लिये ‘जिला पशु बाजार निगरानी समिति’ और बाजारों के प्रबंधन के लिये स्थानीय प्राधिकरण स्तर पर ‘पशु बाजार समिति’ गठित की गई हैं।
- पशु तस्करी रोकने के लिये यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी पशु बाजार राज्य सीमा के 25 किमी. भीतर तक तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किमी. भीतर तक काम नहीं करेगा।
- ये सभी नियम जम्मू और कश्मीर के अतिरिक्त सभी भारतीय राज्यों में लागू होंगे।
- नए नियम केवल पशु बाजारों पर लागू होंगे, न कि व्यक्तिगत तौर पर पशुओं की खरीद-बिक्री करने वाले लोगों पर।
पर्यावरण मंत्रालय का मानना है कि इन नियमों से बाजारों में पशुओं का कल्याण सुनिश्चित होगा और किसानों के लाभ के लिये, उनके कृषि उद्देश्यों के लिये, केवल स्वस्थ पशुओं का ही कारोबार किया जाएगा। इस प्रक्रिया के माध्यम से मवेशी बाजार कृषि के लिये मवेशियों के व्यापार का मुख्य केन्द्र बन जाएंगे। ये नियम मवेशियों की अवैध बिक्री और तस्करी की संभावना खत्म कर देंगे। पशुवध के लिये किसानों के फार्मों से पशुओं को खरीदा जा सकेगा।
समस्याएँ
- विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसान प्रभावित होंगे क्योंकि अब उन्हें अपने वृद्ध या दुग्ध देने वाले मवेशियों को बेचने में दिक्कत आएगी तथा उन्हें खिलाने के लिये खर्च भी करना होगा। मजबूरी में उन्हें पशु को त्यागना (abandon) भी पड़ सकता है।
- इन नियमों से माँस और चमड़े का व्यापार करने वाले मुस्लिम व्यापारियों भी बड़े स्तर पर प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वे पहले से ही आक्रामक ‘गौरक्षा समूहों’ का सामना कर रहे हैं।
- हालाँकि केंद्र को ये नियम तैयार करने का अधिकार है परंतु ‘पशुधन के नियमन’ का कार्यान्वयन राज्य सरकारों के अधिकार-क्षेत्र में आता है।