‘निवारक निरोध’ संकल्पना से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रयोग के आधारों का उल्लेख करते हुए हाल ही में इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की चर्चा कीजिये।
03 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था‘निवारक निरोध’ राज्य के अधीन एक सांविधिक शक्ति है, जिसके तहत राज्य किसी व्यक्ति को कोई संभावित अपराध करने से रोकने के लिये हिरासत में ले सकता है। निवारक निरोध के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 22(3) के तहत यह प्रावधान है कि यदि किसी व्यक्ति को निवारक निरोध के तहत गिरफ्तार किया गया है तो उसे अनुच्छेद 22(1) और 22(2) के तहत प्राप्त ‘गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ संरक्षण’ का अधिकार प्राप्त नहीं होगा। साथ ही, उस व्यक्ति को अनुच्छेद-19 तथा अनुच्छेद-21 के तहत प्रदान की गई व्यक्तिगत स्वतंत्रताएंँ भी प्राप्त नहीं होंगी।
राज्य द्वारा किसी व्यक्ति को ‘निवारक निरोध’ के तहत निम्नलिखित चार आधारों पर ही गिरफ्तार किया जा सकता है-
(i) राज्य की सुरक्षा।
(ii) सार्वजनिक व्यवस्था को बनाये रखना।
(iii) आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति और रखरखाव तथा रक्षा।
(iv) विदेशी मामलों या भारत की सुरक्षा।
हाल ही में तेलंगाना राज्य के एक बीज निर्मात्ता को जब गरीब किसानों को नकली मिर्च के बीज बेचने के आरोप में ‘निवारक निरोध’ कानून के अन्तर्गत राज्य प्राधिकार ने हिरासत में लिया, तब सर्वोच्च न्यायालय ने ‘निवारक निरोध’ के संदर्भ में कई महत्त्वपूर्ण पहलुओं की व्याख्या की।
सर्वोच्च न्यायालय ने सामान्य कानूनी प्रक्रिया से हो सकने वाली कार्रवाइयों में ‘निवारक निरोध’ के प्रयोग को गैर-कानूनी बताया। न्यायालय ने कहा कि अगर सामान्य कानूनों के तहत पर्याप्त उपाय उपलब्ध हों तो राज्य को ‘निवारक निरोध’ का प्रयोग करने से बचना चाहिये क्योंकि किसी व्यक्ति को हिरासत में लेना ‘नागरिक स्वतंत्रता’ को प्रभावित करने वाला एक गंभीर मामला होता है। यद्यपि किसी व्यक्ति को निवारक निरोध के तहत हिरासत में रखने से प्राधिकारी को व्यक्तिगत संतुष्टि मिल सकती हैं परन्तु, ऐसा करने से संविधान के अनुच्छेद- 14, 19, 21 और 22 में वर्णित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।