सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय न्यास’ निकाय की स्थापना के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए उसके द्वारा प्रारम्भ किये गए ‘समावेशी भारत अभियान’ के संबंध में चर्चा कीजिये।
08 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थासामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन ‘राष्ट्रीय न्यास’ एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना ‘स्वलीनता (Autism), सेरेब्रल पाल्सी, मंदबुद्धि और बहुदिव्यांगजनों के कल्याण हेतु राष्ट्रीय न्यास’ अधिनियम (वर्ष 1999 में 44वाँ अधिनियम) द्वारा की गई थी। राष्ट्रीय न्यास की परिकल्पना का आधार दिव्यांगजनों और उनके परिवारों की क्षमता विकास, उन्हें समान अवसर प्रदान कराना, उनको उनके अधिकारों की प्राप्ति करना, बेहतर माहौल उपलब्ध कराना और एक दिव्यांगजन समेकित समाज का निर्माण था।
हाल ही में इस राष्ट्रीय न्यास ने ‘समावेशी भारत अभियान’ की शुरुआत की है। यह अभियान विशेष रूप से बौद्धिक व विकास संबंधी दिव्यांगों (Persons with intellectual and developmental disabilities) के लिये है। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को मुख्य धारा में शामिल कराना और सामाजिक जीवन के सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं- शिक्षा, रोजगार और इस समुदाय के प्रति लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव लाना है। इस अभियान के तहत तीन प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया जा रहा है- समावेशी शिक्षा, समावेशी रोजगार और समावेशी सामुदायिक जीवन।
समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि विद्यालयों और कॉलेजों को दिव्यांगजनों के समेकित बनाया जा सके। विभिन्न सरकारी व निजी संस्थानों के सहयोग से शिक्षण संस्थानों में आधारभूत ढाँचे को उपयोगी और समेकित बनाने के लिये जरूरी साधन, उपयोगी उपकरण, जरूरी सूचना और सामाजिक सहयोग को बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।
इस अभियान के तहत औद्योगिक, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की दो हजार संस्थाएं वर्तमान वित्त वर्ष में दिव्यांगजनों के समेकित रोजगार के लिये जागरूकता फैलाएंगीं। यह तो स्पष्ट है कि जब दिव्यांगजन, उनके परिवार, सिविल सोसाइटी संस्थाएँ और राज्य सरकार के मध्य आपसी सामञ्जस्य होगा तभी समेकित सामुदायिक जीवन के प्रयास को सफल बनाया जा सकेगा। इस समावेशी भारत अभियान की शुरुआत दिव्यांगजनों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने के लिये हुई है और आशा है कि राष्ट्रीय न्यास अपने उद्देश्य में अपने प्रयासों की बदौलत जरूर सफल होगा।