समकालीन विश्व-व्यवस्था में भारत-रूस संबंधों के विभिन्न आयामों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।
15 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधपिछले सात दशकों से भारत और रूस के मध्य दोस्ताना व सहयोगात्मक संबंध रहे हैं। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री और रूस के राष्ट्रपति ने ‘सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा’ में आगे भी इन संबंधों को और मजबूत बनाने की घोषणा की है। परंतु, भारत और रूस के संबंधों को गौर से समझने पर प्रतीत होता है कि शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् उनमें बहुत अधिक आशाजनक प्रागाढ़ता नहीं आई है। शीत युद्ध के अंत के पश्चात् इन दोनों देशों के संबंध वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों में परिवर्तनों के बावजूद स्थिर बने हुए हैं।
भारत और रूस के मध्य संबंधों को प्रभावित करने में चीन सदैव एक कारक रहा है। चीन के खतरे ने भारत और रूस को एक-दूसरे के नजदीक ला दिया था किंतु शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् रूस और चीन के मध्य संबंधों के समीकरणों में बदलाव आया है। रूस और चीन के मध्य सीमा-विवादों के सुलझने, आर्थिक व व्यापारिक संबंधों में विस्तार और रूसी हथियारों व रक्षा प्रौद्योगिकी को चीन द्वारा बड़े स्तर पर आयात करने के कारण रूस का दृष्टिकोण चीन को लेकर थोड़ा लचीला हुआ है। सामरिक हितों को लेकर अभी भी रूस और चीन के संबंधों में निकटता बढ़ रही है। ब्रिक्स और एस.सी.ओ. जैसे मंचों पर भारत-चीन-रूस एक साथ खड़े हैं। भारत को रूस और चीन के नए एवं सकारात्मक संबंधों के साथ समायोजन करने की आवश्यकता है।
भारत और रूस रक्षा हार्डवेयर और प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, तेल व गैस आदि क्षेत्रों में लगातार एक-दूसरे का सहयोग करते आए हैं। दोनों देश बहु-ध्रुवीय विश्व-व्यवस्था का समर्थन करते हैं। सेंट पीटर्सबर्ग में भारत और रूस ने एक ‘ऊर्जा गलियारा’ स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की है। रूस के सहयोग से भारत संयुक्त राष्ट्र, एस.सी.ओ., ब्रिक्स, जी-20 जैसे वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के मुद्दे पर अपना सशक्त पक्ष रख सकता है। एन.एस.जी. की सदस्यता के लिये भी रूस का सहयोग आवश्यक है क्योंकि रूस चीन को इस मुद्दे पर राजी कर सकता है।
यद्यपि भारत और रूस ने साथ मिलकर आगे बढ़ने और आपसी सहयोग को बढ़ाने की घोषणा की है परंतु पाकिस्तान के साथ रूस का सैन्य अभ्यास और चीन से बढ़ती निकटता की वास्तविकता में भारत को संबंधों को आगे बढ़ाना चाहिये।