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प्रश्न :
"आधुनिक लोकतंत्रों में ‘जनमत संग्रह (Referendum)’ का बढ़ता प्रचलन लोकतांत्रिक व्यवस्था के सशक्तिकरण में सहायक सिद्ध होगा" इस कथन का विश्लेषण करें।
24 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
जनमत संग्रह प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उपकरण है जहाँ नागरिक विशिष्ट एवं महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सीधे मतदान करते हैं। आधुनिक लोकतंत्रों में इसका प्रचलन लगातार बढ़ रहा है। स्कॉटलैंड ने जनमत संग्रह के माध्यम से ब्रिटेन के साथ रहने का निर्णय लिया वहीं ब्रिटेन ने जनमत संग्रह के माध्यम से ही यूरोपियन यूनियन (EU) को छोड़ने (BREXIT) का निर्णय लिया।
जनमत संग्रह लोकतांत्रिक व्यवस्था को कैसे मजबूत कर सकता है?
- यह वास्तविक लोकतंत्र का एक रूप है क्योंकि इसमें जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है।
- यह जनता का महत्त्वपूर्ण एवं संवेदनशील मुद्दों के प्रति जागरूक बनाता है।
- जनमत संग्रह कठिन विधायी निर्णयों पर जनता का समर्थन प्राप्त कर इन निर्णयों को वैधता प्रदान करता है।
- जनमत संग्रह के माध्यम से जनता की हताशा, निराशा एवं विरोध प्रदर्शन की संभावनाओं को एक शांतिपूर्ण एवं अहिंसात्मक तरीके से प्रकट करने का रास्ता मिल जाता है। इस प्रकार जनमत संग्रह के माध्यम से परिवर्तन शांतिपूर्ण तरीके से लाए जा सकते हैं।
जनमत संग्रह के नकारात्मक पक्ष
- चूँकि जनमत संग्रह में संख्या बल के आधार पर निर्णय लिये जाते हैं अतः इसमें ‘अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यकों की तानाशाही’ की प्रबल संभावनाएँ रहती है।
- जनमत संग्रह के दौरान जनता की भावनाओं को मीडिया, सोशल मीडिया जैसे माध्यमों से दिशा देकर किसी निर्णय के पक्ष या विरोध में जनमत तैयार किया जा सकता है।
- जनता के विचार सामान्यतः तार्किक एवं तकनीकी जानकारी के आधार पर नहीं बल्कि लोकप्रिय भावनाओं से संचालित होते हैं।
- जनमत संग्रह जटिल विधायी निर्णयों के प्रश्नों को सरल ‘हाँ अथवा नहीं’ उत्तर देने तक सीमित कर देता है।
- जनमत संग्रह का अधिक प्रचलन निर्वाचित विधायिका, संसदीय समितियों आदि को अप्रासंगिक कर देगा एवं प्रत्येक मुद्दे पर जनमत संग्रह की मांग उठने लगेगी।
- जनमत संग्रह चुनावों के समान ही श्रम साध्य एवं खर्चिली प्रक्रिया है जिसका अधिक आयोजन प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करेगा।
निष्कर्षः इस प्रकार, जनमत संग्रह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जन भागीदारी का महत्त्वपूर्ण माध्यम है किंतु जटिल विधायी निर्णय इसके माध्यम से लेना उचित नहीं है। इसके स्थान पर एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाना चाहिये कि महत्त्वपूर्ण विधेयकों को ‘पब्लिक डोमेन’ में रखकर जनता की राय अवश्य ली जानी जाए।
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