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प्रश्न :
"आसियान (ASEAN) के साथ संबंध भारत के लिये न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक, भू-राजनीतिक एवं ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वूपर्ण हैं।" भारत-आसियान संबंधों के इतिहास के क्रमिक विकास का वर्णन करते हुए इस कथन की पुष्टि करें।
26 Jun, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
आसियान क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक सहयोग के सबसे सफल उदाहरणों में से एक है जिसकी स्थापना 1967 में बैंकोंक संधि के तहत हुई थी। दक्षिण पूर्वी एशिया के दस देश इसके सदस्य है एवं भारत ASEAN का संवाद-भागीदार देश है।
भारत-आसियान संबंधों का क्रमिक विकास
- 1947 में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत ने गुट निरपेक्ष आंदोलन (NAM) का नेतृत्व किया तथा भारत ने संयुक्त राज्य अथवा सोवियत संघ में से किसी के पक्ष में झुकाव नहीं रखा। इस दौरान भारत ने विश्व में उपनिवेशवाद की समाप्ति की वकालत की जिससे भारत के इंडोनेशिया सहित दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से अच्छे संबंध बने।
- 1967 में आसियान की स्थापना हुई, लेकिन 1970 के दशक में भारत का झुकाव सोवियत संघ की तरफ हाने से दक्षिण-पूर्व एशियाई देश भारत से दूर होते गए क्योंकि सोवियत संघ एवं दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों की आर्थिक-राजनीतिक विचारधाराओं में साम्य नहीं था।
- 1991 के पश्चात शीत युद्ध की समाप्ति और आर्थिक उदारीकरण के पश्चात भारत की नीति में परिवर्तन आया एवं भारत ने पूर्वी एशियाई और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाने के लिये ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ को अपनाया।
- भारत की वर्तमान सरकार ने आसियान के साथ अपने आर्थिक संबंधों को और अधिक सृदृढ़ करने के साथ-साथ एशिया प्रशांत के अन्य देशों के साथ भी संबंध सुदृढ़ करने की नीति अपनाई है।
भारत के लिये आसियान का महत्त्व
- भारत आसियान का प्रमुख आर्थिक भागीदार देश है एवं भारत तथा आसियान मिलकर विश्व का एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र निर्मित करते हैं। भारत अपने निवल व्यापार का लगभग 10% आसियान के साथ करता है।
- भारत-आसियान संबंधों का भू-राजनीतिक एवं सामरिक महत्त्व भी है। दक्षिण चीन सागर में नौ-संचालन की स्वतंत्रता बनाए रखने, नशीले पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद, साइबर अपराध आदि की रोकथाम तथा चीन की आक्रामक नीति को संतुलित करने के लिये भी भारत के लिये आसियान महत्त्वपूर्ण है।
- भारत म्याँमार, वियतनाम एवं, मलेशिया एवं इंडोनेशिया जैसे आसियान देशों के साथ संबंध स्थापित कर अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है चूँकि दक्षिण चीन सागर में तेल और प्राकृतिक गैस के व्यापक भंडार विद्यमान है।
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