रोहिंग्या (Rohingya) समुदाय के म्यांमार से पलायन के क्या कारण हैं? वर्तमान में रोहिंग्या संकट से निपटने के लिये वैश्विक स्तर पर क्या-क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
उत्तर :
रोहिंग्या परंपरागत रूप से म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाला अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय है, जिसमें से बड़ी संख्या ने म्यांमार की खराब आर्थिक-राजनीतिक-सामाजिक परिस्थितियों के कारण बांग्लादेश, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, भारत आदि देशों में पलायन किया।
म्यांमार से उनके पलायन के कारण-
- ‘बर्मा नागरिकता कानून, 1982’ के द्वारा रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार की नागरिकता से वंचित कर दिया गया। इससे पूर्व भी म्यांमार सरकार की इनके प्रति नीति भेदभावपूर्ण रही है। नागरिकता एवं मौलिक अधिकारों के अभाव में ये लोग ‘राज्यविहीन’ हो गये हैं।
- रखाइन प्रांत म्यांमार का सबसे कम विकसित राज्य है जहाँ अधिकांश परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं।
- संसाधनों की कमी, रोजगार के अवसरों की कम उपलब्धता एवं धार्मिक मतभेदों ने रोहिंग्या मुस्लिमों एवं बहुसंख्यक बौद्धों के मध्य दरारें बढ़ा दी जिसकी परिणति कई बार संघर्ष के रूप में हुई। सरकार ने इन संघर्षों को रोकने के पर्याप्त प्रयास नहीं किये जिससे स्थिति और बदतर होती गई एवं 2012 में सांप्रदायिक हिंसा में सैंकड़ों रोहिंग्या मारे गए एवं अब तक एक लाख से अधिक पलायन कर चुके हैं।
- म्यांमार सरकार ने विवाह, परिवार नियोजन, रोजगार, शिक्षा, धार्मिक चयन आदि की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाकर इनके खिलाफ भेदभाव को संस्थागत कर दिया।
रोहिंग्या संकट से निपटने के लिये किए जा रहे प्रयासः
- म्यांमार ने रखाइन प्रांत में नृजातीय संघर्ष की समस्या को हल करने के लिये विकल्पों पर चर्चा करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के नेतृत्व में एक आयोग की स्थापना की गई।
- संयुक्त राष्ट्र, ह्यूमन राइट वॉच तथा अराकान प्रोजेक्ट जैसे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने इस संकट का समाधान करने लिये म्यांमार सरकार पर दबाव डाला है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अनेक वैश्विक शक्तियों, भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया जैसे म्यांमार के पड़ोसी देशों ने भी म्यांमार पर इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया है क्योंकि ऐसे समय में जब यूरोप में शरणार्थी संकट फैल रहा है, दक्षिण एवं दक्षिण पूर्वी एशिया भी रोहिंग्या से जुड़े इसी तरह के संकट से ग्रस्त हो सकता है।
रोहिंग्या संकट अत्यंत त्रासदीपूर्ण है जिसके समाधान के लिये म्यांमार सरकार को मानवीय पहलुओं का ध्यान रखते हुए राजनीतिक प्रयास करने चाहिये। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक यथार्थवादी, व्यावहारिक समाधान के लिये योजना बनानी चाहिए।