भारत में नशीले पदार्थों की लत (Drug Addiction) की समस्या का प्रसार संपूर्ण देश में है। इस समस्या के जिम्मेदार कारक कौन-कौनसे हैं? स्पष्ट करे। इस समस्या के प्रभावों का उल्लेख करते हुए इसके समाधान के लिये उचित सुझाव भी दें।
उत्तर :
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किये आंकड़ों के अनुसार भारत में नशीले पदार्थो की लत की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है एवं इसका प्रसार केवल उत्तर भारत ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश में है। NCRB के अनुसार पिछले 10 वर्षों में 25,000 से अधिक लोगों ने नशीले पदार्थों की लत के प्रभावों के कारण आत्महत्या कर ली है।
नशीले पदार्थों की लत के लिये जिम्मेदार कारक-
- सामाजिक कारकः घर में अस्थिर वातावरण एवं प्रतिदिन के झगड़े, काम के अधिक बोझ के कारण माता-पिता द्वारा बच्चों को पर्याप्त समय न देना, नशीले पदार्थों के उपयोग का महिमामंडन, स्कूल-कॉलेजों में अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वातावरण आदि किशोरों को नशीले पदार्थों के उपयोग के प्रति सुभेद्य कर देता है।
- आर्थिक कारकः गरीबी, बेरोजगारी आदि के कारण उत्पन्न हताशा और अवसाद व्यक्ति को नशीले पदार्थों के उपयोग के प्रति सुभेद्य बना देते हैं।
- राजनीतिक कारकः नशीले पदार्थों का व्यवसाय बहुत लाभदायक है। फलतः अनेक राजनेता भी ड्रग-माफियाओं के साथ मिले होते हैं।
- इनके अलावा नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता, तनाव, चिंता और अवसाद का बढ़ता स्तर आदि भी पदार्थों की लत के कारण हैं।
प्रभावः
- सामाजिक प्रभावः नशीले पदार्थों के प्रयोग से परिवार में बिखराव तथा सामाजिक ताने-बाने का टूटने का खतरा उत्पन्न होता है। ड्रग की तस्करी आर्थिक रूप से अत्यंत लाभदायक होती है। अतः यह अनेक अपराधों के बढ़ने का कारण भी बनता है।
- आर्थिक प्रभावः नशीले पदार्थों की लत से मानव की कार्यक्षमता और उत्पादकता में गिरावट आती है। इससे मजदूरी में क्षति, उत्पादन में कमी तथा स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि होती है।
- शारीरिक प्रभावः नशीले पदार्थों के प्रयोग कारण मनुष्य में सामान्य मानसिक एवं शारीरिक क्रियाओं में बदलाव आ जाता है। उपयोगकर्त्ता के शरीर को इन दवाओं की लत लग जाती है एवं धीरे-धीरे इन दवाओं की उच्च मात्रा की मांग करने लगता है। यदि सेवनकर्त्ता इन पदार्थों के प्रयोग को छोड़ता है तो उसमें कमजोरी, उत्तेजना और आक्रमता के लक्षण आने लगते हैं।
समाधानः
- नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या में वृद्धि करनी चाहिए तथा इनमें समेकित दृष्टिकोण, जैसे- चिकित्सा, योग, मनोवैज्ञानिक संबल आदि के माध्यम से नशीले पदार्थों की लत को छुड़ाने का प्रयास करना चााहिए।
- प्रभावी और सस्ते पुनर्वास केन्द्रों की स्थापना करनी चाहिए, विशेषकर उन राज्यों में जहाँ ड्रग्स के दुरूपयोग की घटनाएँ अधिक होती हैं।
- कार्यशालाओं, नुक्कड़ नाटकों, मीडिया आदि के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाकर नशीले पदार्थों के सेवन के दुष्परिणामों से जनता को अवगत कराना चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय सीमा के परागमन मार्गों तथा ड्रग तस्करी व्यापार की सख्त निगरानी रखनी चाहिए।
- ड्रग्स के उत्पादकों, तस्कारों आदि के प्रति शून्य-सहनशीलता की नीति अपनानी चािहए।
निष्कर्षः युवा देश की संपत्ति है और नशीले पदार्थों के सेवन के प्रति सबसे संवेदनशील वर्ग यही है। इसलिये, सख्त बहुआयामी रणनीति अपनाकार इस खतरे को रोकने का प्रयास करना चाहिए।