प्रशासनिक एवं प्रबंधन संबंधी कमियों ने हमेशा धार्मिक संघर्षों एवं सांप्रदायिक दंगों की उत्पत्ति एवं इनके प्रभाव को बढ़ाने का काम किया है। नागरिक केंद्रित पहलों के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ाकर धार्मिक एवं सांप्रदायिक संघर्षों से बचा जा सकता है। उदाहरण से पुष्टि करें।
11 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाभारतीय समाज अत्यंत विविधतापूर्ण एवं जटिल ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से युक्त है। अतः इसमें सांप्रदायिक तनाव की उत्पत्ति होती रहती है जो कभी-कभी हिंसा का रूप ले लेती है। आजादी के बाद देश में बड़े पैमाने पर धार्मिक संघर्ष और सांप्रदायिक हिंसाएँ हुई हैं जिनके मूल में व्यवस्था एवं प्रशासन संबंधी कमियाँ रही हैं। दंगा-पश्चात प्रबंधन की कमियों के कारण इन हिंसाओं का प्रभाव बहुगुणित हुआ है।
(i) व्यवस्था संबंधी समस्याएँ-
(ii) प्रशासनिक समस्याएँ-
(iii) दंगा पश्चात प्रबंधन में कमियाँ-
ऐसी संघर्षपूर्ण स्थितियों से निपटने के लिये आंतरिक पद्धतियाँ विकसित करने में नागरिकों की भागीदारी की जरूरत है। ऐसे नागरिक पहलों के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(i) सामुदायिक पुलिस व्यवस्था-
(ii) नागरिक शांति समितियाँ-
(iii) भिवण्डी (महाराष्ट्र) में एक पुलिस अधीक्षक द्वारा दंगों के पश्चात ‘मौहल्ला समितियाँ’ आयोजित की गई। ऐसी समितियों के गठन की आवश्यकता है जो विभिन्न संप्रदायों के बीच संवाद को बढ़ावा दे तथा उनका पारस्परिक विश्वास बढ़े।
इस प्रकार की नागरिक केंद्रित पहलों के माध्यम से सांप्रदायिक संघर्ष का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है एवं समय रहते इनसे निपटने के उचित प्रयास किये जा सकते हैं।