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प्रश्न :
क्या सैन्य बलों में महिलाओं को युद्धक भूमिकाएँ निभाने हेतु अनुमति देना तर्कसंगत है? भारत सरकार के इस फैसले के पक्ष-विपक्ष का विश्लेषण करें।
12 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
भारत सरकार ने घोषणा की है कि सैन्य बलों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिये भारतीय सेना के तीनों अंगों में युद्धक भूमिकाएँ निभाने हेतु महिलाओं को अनुमति दी जाएगी। वर्तमान में विश्व के कई देशों में सैन्य बलों में युद्धक भूमिकाएँ निभाने हेतु महिलाओं को अनुमति दी जा रही है।
इस निर्णय के पक्ष में तर्क
- महिलाएँ देश की आधी आबादी है, उन्हें अवसरों से वंचित नहीं करना चाहिये।
- वर्तमान में युद्ध क्षेत्र में भारी परिवर्तन हुआ है। परंपरागत प्रत्यक्ष लड़ाई का स्थान अब अत्याधुनिक हथियारों, खुफिया तंत्र के प्रयोग और साइबर स्पेस तकनीकों ने ले लिया है जिनमें महिलाएँ किसी भी मामले में पुरूषों से कम नहीं है।
- सेना की संरचना लिंग आधारित न होकर देश के प्रति निष्ठा और सुरक्षा सुनिश्चित करने की भावना पर होनी चाहिये।
इस निर्णय से संबंधित चिंताएँ
- सबसे बड़ी चिंता सैन्य बलों में महिलाओं की सुरक्षा और उनकी गरिमा से संबंधित है। सशस्त्र बलों में पुरूष वर्चस्व के कारण महिलाओं के यौन-उत्पीड़न की आशंकाएँ काफी बढ़ जाती हैं।
- सेनाओें में न्यायाधिकरणों में भी पुरूष वर्चस्व है अतः ऐसे मामलों के न्यायपूर्ण निपटारे के संबंध में भी अनेक चिताएँ उत्पन्न हो जाती है।
- बंधक बनाए जाने पर महिलाओं की सुभेद्यता तथा युद्धक मोर्चे की अग्रिम पंक्ति में तैनाती पर शारीरिक और मानसिक तनाव से जूझने की क्षमता को लेकर भी चिंताएँ जाहिर की जा रही हैं।
निष्कर्षतः सेनाओं में महिलाओं की भागीदारी को लैंगिक समानता के नज़रिये के साथ-साथ देश की सुरक्षा के समग्र नज़रिये से भी देखना चाहिये। इसलिये, पुरूष और महिला सैनिकों के कार्यों की समय-समय पर कार्य-निष्पादन लेखा परीक्षा (Performance Auditing) होनी चाहिये एवं सेना में महिलाओं का क्रमिक एकीकरण होना चाहिये ताकि भविष्य में सेना अधिक समावेशी और सशक्त बनकर उभरे।
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