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प्रश्न :
"मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 पारित करना एक सराहनीय कदम है लेकिन इससे श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी की उपेक्षा की आशंका भी पैदा हुई है।" इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख करते हुए इस कथन का विश्लेषण करें।
15 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में उल्लेखित मातृत्व अवकाश की अवधि में परिवर्तन एवं अन्य प्रावधानों में संशोधन के लिये मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम पारित किया गया।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान
- यह अधिनियम 10 या उससे अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले सभी संस्थानों पर लागू होगा।
- अधिनियम के अनुसार प्रत्येक महिला को मिलने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है। ऐसे मामले जिनमें महिला के दो या दो से अधिक बच्चे हैं, को 12 सप्ताह के लिये मातृत्व अवकाश किया जाना जारी है।
- दत्तक और कमिशनिंग माताओं के लिये भी 12 सप्ताह के अवकाश का प्रावधान है।
- ऐसी संस्थाएँ जिनमें 50 अथवा अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, को एक निर्धारित दूरी के अंदर क्रेच (शिशु गृह) की सुविधाएँ उपलब्ध करानी होंगी।
इस प्रकार यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 42 के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के मानकों का भी अनुसरण करता है। इसके प्रावधानों के कारण माताओं द्वारा अपने नवजात शिशुओं को अधिक समय दे पाने के कारण अधिक भावनात्मक जुड़ाव, स्तनपान एवं देखभाल के कारण बच्चे के स्वास्थ्य एवं प्रतिरक्षा में वृद्धि होगी। किंतु, दूसरी तरफ इस अधिनियम के संबंध में कुछ आशंकाएँ भी उभरी हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर देने से महिलाओं के लिये उपलब्ध रोजगारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नियोक्ता को मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन देना पड़ेगा। इससे नियोक्ता पुरुष श्रमिकों को प्राथमिकता देगा।
- इसके प्रावधानों का पालन करने से नियोक्ता की लागत में वृद्धि होने से उन उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है जिनमें महिला श्रमिकों की संख्या ज्यादा है। अतः इन उद्योगों में रोजगार सृजन भी प्रभावित होगा।
- इस अधिनियम के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र को शामिल नहीं किया गया जबकि कुल महिला श्रमिकों का 90 प्रतिशत से अधिक असंगठित क्षेत्र में हैं।
- इस प्रकार, यहाँ यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस अधिनियम के प्रावधान महिला श्रमिकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करें। इसका समाधान यह हो सकता है कि चूंकि महिला एवं बाल कल्याण एक सार्वजनिक मामला है, अतः मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन का भुगतान सरकार द्वारा किया जाना चाहिये।
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