नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के लागू होने के इतने वर्षों पश्चात् भी इसका कार्यान्वयन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा है। इसके कारणों को स्पष्ट करते हुए उपयुक्त सुझावों का वर्णन करें।

    20 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    ‘भारत में शिक्षा का अधिकार’ संविधान के अनुच्छेद 21A के अंतर्गत मूल अधिकार के रूप में उल्लिखित है। इस अधिकार को सुनिश्चित करने के लिये शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE) पारित किया गया, जिसके माध्यम से आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के बच्चों के लिये निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत कोटा नियत किया गया। किंतु हाल ही में किये गए एक सर्वे से पता चला है कि ऐसी सीटों में से केवल 15 प्रतिशत सीटों को ही भरा गया है। इतने वर्षों में भी इस अधिनियम के अपेक्षानुरूप कार्यान्वित न होने के निम्नलिखित कारण हैं-

    • इसके दिशा-निर्देशों के संबंध में अधिकांश माता-पिता को जानकारी न होने के कारण वे अपने बच्चों के लिये अधिकारों की मांग नहीं कर पाते। 
    • अनेक विद्यालय मानते हैं कि RTE के अंतर्गत गरीब बच्चों के प्रवेश से उनके विद्यालय के परिणाम का स्तर गिर जाएगा, अतः वे इन बच्चों के प्रवेश को हतोत्साहित करते हैं।
    • सरकार स्कूलों को समय पर क्षतिपूर्ति राशि प्रदान नहीं करती अतः स्कूल प्रशासन इन बच्चों को प्रवेश देने में आनाकानी करता है। 
    • इस अधिनियम के कार्यान्वयन के संबंध में कोई मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र मौजूद नहीं है।
    • इस अधिनियम के अंतर्गत सीमांत वर्गों, जैसे- LGBT, विकलांगों, अनाथों, भिखारियों आदि के बच्चों के लिये पृथक्  प्रावधान नहीं किया गया है।

    सुझाव

    • हितधारकों को संवेदनशील बनाने के लिये जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिये, जिसमें मीडिया, सोशल मीडिया, प्रसिद्ध व्यक्तियों, स्थानीय नेताओं, सिविल सोसायटी आदि को शामिल करना चाहिये।
    • स्कूलों की समुचित निगरानी करनी चाहिये एवं समय-समय पर इस अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन की रिपोर्ट लेनी चाहिये।
    • स्कूलों की रियल टाइम आधार पर निगरानी के लिये ऑनलाइन प्रबंधन प्रणाली का प्रयोग करना चाहिये।
    • अध्ययन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये सतत् और व्यापक मूल्यांकन को महत्त्व देना चाहिये। अध्यापन की गुणवत्ता सुधार के लिये शिक्षण-प्रशिक्षण व्यवस्थाओं पर ध्यान देना चाहिये।
    • 25% कोटा का पालन न करने के मामले में कड़े दंड का प्रावधान किया जाना चाहिये।

    सरकार को इस अधिनियम के प्रावधानों के समुचित कार्यान्वयन के लिये अग्रसक्रिय नीति अपनानी चाहिये। इसके लिये स्कूलों को विश्वास में लेना एवं समय पर क्षतिपूर्ति राशि प्रदान करना भी आवश्यक है। इस प्रकार, सरकार वंचितों एवं गरीबों के बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था कर शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित कर सकती है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow