अनौपचारिक संगठनों की प्रमुख विशेषताओं को रेखांकित करते हुए इसके सदस्यों एवं समाज पर इनके प्रभावों की समीक्षा करें।
उत्तर :
अनौपचारिक संगठन ऐसे संगठन होते हैं, जो व्यवहारों, आपसी संपर्कों, वैयक्तिक और पेशेवर संपर्कों के माध्यम से विकसित होते हैं। ये स्वतः स्फूर्त संगठन हैं, जो ठोस नियम, विनियमन, अथवा कानून के अनुसार संचालित नहीं होते हैं। मित्र मंडली, क्रीड़ा समूह आदि अनौपचारिक समूहों के उदाहरण हैं।
अनौपचारिक संगठनों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- इनकी संरचना अनियोजित होती हैं। इनमें किसी भी औपचारिक नेतृत्व, पद संरचना तथा पदानुक्रम का अभाव होता है।
- ये सदस्यों के आपसी विश्वास, पारस्परिकता और सहयोग पर आधारित होते हैं।
- इनके सदस्यों के मध्य आपसी संपर्क तथा निकट के संबंध होते है।
- ये किसी नियम, विनियम आदि से संचालित न होकर आपसी व्यवहार और परस्पर क्रियाओं से संचालित होते हैं।
अनौपचारिक संगठनों के सकारात्मक प्रभाव-
- ये संगठन कुछ समान्य सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को धारण करते हैं, अतः ये इन मूल्यों को स्थायित्व प्रदान करते हैं एवं इनके माध्यम से संगठन में एकता को बढ़ावा मिलता है।
- ये अनौपचारिक रूप से आपसी संपर्कों एवं मेलजोल को बढ़ावा देकर सदस्यों को सामाजिक स्थिति एवं संतोष की भावना प्रदान करते हैं। इस प्रकार ये सामाजिक नियंत्रण भी पैदा करते हैं।
- ये सदस्यों के बीच संचार को तीव्र करते हैं तथा आपसी समझ को विकसित कर कार्य संगठन की उत्पादकता में भी बढ़ोतरी करते हैं।
- इन संगठनों के माध्यम से सदस्यों को प्रेरणा मिलती रहती है।
अनौपचारिक संगठनों के नकारात्मक प्रभाव-
- मूल्यों और जीवन पद्धति में स्थायित्व प्राप्त कर लेने से अनौपचारिक संगठनों में जड़ता आ जाती है, अतः ये किसी भी बदलाव का प्रतिरोध करते हैं।
- किसी औपचारिक संगठन के भीतर कुछ अनौपचारिक संगठन पनप जाते हैं जिससे उनमें आपसी विवाद और हितों का संघर्ष उत्पन्न हो जाता है। यह संपूर्ण संगठन और कार्य समूह पर नकारात्मक असर डालता है।
- अनौपचारिक संगठनों में तीव्र संचार के माध्यम से तीव्र गति से अपवाहें संचरित होती हैं।
- इन संगठनों में परस्पर संपर्क मज़बूत होता है, लेकिन श्रम विभाजन नहीं पाया जाता, अतः इनमें विशिष्टीकरण की कमी पाई जाती है।
यद्यपि इन संगठनों के कुछ नकारात्मक पक्ष भी हैं, लेकिन ये सामाजिक संपर्क, सदस्यों के आपसी जुड़ाव के माध्यम से न केवल सदस्यों की सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं बल्कि संगठन के आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने में भी योगदान कर सकते हैं।