हाल ही में सरकार द्वारा बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास के लिये पूर्ववर्ती योजना की कम प्रभावशीलता को देखते हुए नई केंद्रीय योजना आरंभ की। इसकी प्रमुख विशेषताओं और महत्त्व को स्पष्ट करें।
उत्तर :
भारतीय संविधान में अनुच्छेद 23 के तहत बंधुआ मज़दूरी को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। इस अनुच्छेद के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये 1976 में ‘बंधुआ मज़दूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम’ पारित किया गया। बंधुआ मज़दूरों की पहचान और उनके उचित पुनर्वास के लिये केंद्र सरकार ने 1978 में एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में ‘बंधुआ मज़दूर पुनर्वास योजना’ प्रारंभ की। लेकिन इस योजना की कमियों एवं कम प्रभावशीलता को देखते हुए भारत सरकार ने ‘संशोधित बंधुआ मज़दूर पुनर्वास योजना, 2016’ घोषित की है। जिसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- यह पूर्णतः केंद्र सरकार की योजना है। अतः राज्य सरकारों को पुनर्वास के लिये नकद सहायता देना आवश्यक नहीं होगा। (पहले यह केंद्र प्रायोजित योजना थी, जिसमें राज्यों को भी समतुल्य अंशदान करना होता था)।
- प्रत्येक ज़िले में बंधुआ मज़दूरों के सर्वेक्षण के लिये इस योजना के अंतर्गत एक निश्चित राशि प्रदान की जाएगी।
- प्रत्येक व्यस्क पुरुष लाभार्थी को 1 लाख रुपए, विशिष्ट श्रेणी के लाभार्थियों जैसे अनाथ बच्चों, महिलाओं आदि को दो लाख रुपए तथा अत्यंत अभाव की श्रेणी में शामिल समूहों, जैसे ट्रांसजेंडरों और वेश्यालयों से मुक्त कराई गई महिलाओं और बच्चों को तीन लाख रुपये की पुनर्वास सहायता प्रदान की जाएगी।
- प्रत्येक राज्य में ‘बंधुआ मज़दूर पुनर्वास कोष’- बनाया जाएगा जिसके माध्यम से ज़िला स्तर पर न्यूनतम 10 लाख रुपए की एक स्थायी राशि ज़िलाधिकारी को उपलब्ध कराई जाएगी, जिसका उपयोग वह मुक्त किये गए बंधुआ मज़दूरों को तात्कालिक सहायता प्रदान करने में कर सकेगा।
- पूर्ववर्ती योजना में नियमित निगरानी का अभाव था एवं पुनर्वास सुविधाएँ अपर्याप्त थीं। विशेष श्रेणी के पीड़ितों की आवश्यकताओं को भी पर्याप्त महत्त्व नहीं दिया गया था। वहीं, यह नई योजना इन सभी समस्याओं को संबोधित करने के कारण बंधुआ मज़दूरों के उचित पुनर्वास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
फिर भी, इस कुत्सित प्रथा के पूर्ण उन्मूलन के लिये एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें कानूनों का सख्त अनुपालन, जनता में जागरूकता उत्पन्न करना तथा लोगों की मानसिकता में परिवर्तन करना भी आवश्यक है।