बिना पूर्व तैयारी के लागू किये गए सुधारों की सफलता संदिग्ध होती है। इस कथन के आधार पर “फेल न करने की नीति” (No detention policy) की समीक्षा करें।
18 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाविद्यालयों में वार्षिक परीक्षाओं का होना कई दशकों से भारतीय शिक्षा व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग माना जाता रहा है। अपनी शिक्षा प्रणालियों को परिवर्तित करने के सफल प्रयास जिन देशों ने किये, उनका यह मत रहा है कि राष्ट्र की प्रगति में शिक्षा में किये गए निवेश का योगदान, अन्यत्र किये गए निवेश के योगदान से कहीं अधिक होता है। दुर्भाग्य से भारत में शिक्षा में होने वाला निवेश पर्याप्त नहीं है जिसके कारण हम उन सुधारों को भी लागू नहीं कर पाए है जो दशकों पहले लागू कर लिये जाने थे।
हाल ही में सरकार ने 8वीं कक्षा तक “फेल न करने की नीति” को समाप्त कर दिया है। इस नीति को वापस लेने के कई कारण हैं, परंतु सवाल यह उठता है कि क्या इस नीति के क्रियान्वयन के लिये हमारा शिक्षा तंत्र तैयार नहीं था ?
वे कदम जो नीति लागू करने के पहले या साथ-साथ उठाए जाने ज़रूरी थे -
जब इन सब ज़रूरी कदमों की अनदेखी कर यह नीति लागू कर दी गई तो इसकी सफलता प्रारंभ से ही संदिग्ध हो गई और इस नीति के लागू होने के बाद निम्नलिखित प्रवृत्तियाँ देखने को मिलीं –
इस तरह की प्रवृत्तियाँ ही इस नीति के समाप्त किये जाने का कारण रही हैं। इस नीति के समाप्त होने से बीच में ही स्कूल छोड़ देने की दर (dropout rate) में वृद्धि होने की संभावना है। परंतु इस नीति की व्यापक कमियों को देखते हुए इसे जारी रखना उचित नहीं था। शिक्षा व्यवस्था में किसी भी तरह के सुधार को लागू करने के पहले हमें उसकी मूल कमियों को दूर करना होगा। यह कार्य एक बड़े निवेश द्वारा शिक्षा क्षेत्र की अवसंरचना में सुधार से प्रारंभ किया जा सकता है।