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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन व पश्चिमी एशिया में रहने वाले प्रवासी भारतीय वर्तमान में किस प्रकार की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं ?

    24 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    प्रवासी भारतीय वे कहलाते हैं, जो विश्व के विभिन्न देशों में NRI (भारतीय नागरिक जो भारत में नहीं रहते) व PIO(भारतीय मूल के वे नागरिक जिन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता ले रखी है) के रूप में रह रहे हैं। प्रवासियों की ज़्यादातर जनसंख्या पश्चिमी एशिया, उत्तरी अमेरिका तथा पश्चिमी यूरोप में निवास करती है। पिछले कुछ समय से इन क्षेत्रों में रहने वाले प्रवासी भारतीय विभिन्न कारणों से कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं-

    उत्तरी अमेरिका व ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों के समक्ष चुनौतियाँ- 

    • यहाँ के देशों में भारतीयों को नस्लवादी दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। कुछ समय से यह प्रवृत्ति बढ़ गई है। 
    • 9/11 के बाद से अमेरिका में रह रहे भारतीय मुस्लिमों और सिक्खों को उनकी वेशभूषा व दिखावट के कारण संदेह की दृष्टि से देखा जाता है और यही उनके साथ भेदभाव वाले व्यवहार का कारण बनता है।
    • अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों के चलते वहाँ की आई.टी. कंपनियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे भारतीय पेशेवरों के समक्ष रोज़गार की समस्या उत्पन्न हो गई है। 
    • इन देशों की अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर ज़ारी है। वहाँ जाने वाले भारतीयों के सामने नई नौकरियों की उपलब्धता बहुत सीमित है।

    पश्चिमी एशिया में प्रवासी भारतीयों के समक्ष चुनौतियाँ –

    • पिछले 3-4 वर्षों से कच्चे तेल की कीमतों में कमी के चलते इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर है। ऐसे में वहाँ रह रहे भारतीयों के समक्ष रोज़गार तथा आजीविका की समस्या है। 
    • पश्चिम एशिया के कुछ देशों में आतंकवाद और शिया-सुन्नी विवाद के कारण हो रही हिंसा में भारतीय समुदाय सुभेद्य बन जाता है।
    • पश्चिम एशिया के देश भी कुछ हद तक रोज़गार के लिये दक्षिण एशियाई कामगारों की जगह स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
    • भारतीय कामगारों को फिलीपींस जैसे देशों के कुशल और नेपाल के सस्ते कामगारों से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा मिल रही है।

    प्रवासी भारतीय विश्व में न केवल भारत के सांस्कृतिक दूत हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी अपना योगदान देते हैं। प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत को किया जाने वाला प्रेषण (remmitance) देश के विदेशी मुद्रा भंडार में महत्त्वपूर्ण सहायता देता है। भारत को इन देशों से द्विपक्षीय वार्ताओं के दौरान प्रवासी भारतीयों की आजीविका और जीवन की सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर अपनी बात रखनी चाहिये। प्रवासी भारतीयों से हमें आर्थिक सहयोग तो मिल ही रहा है, साथ ही हमें अपने स्तर पर भी कुछ ऐसे उपाय करने होंगे ताकि इनके बौद्धिक कौशल का फायदा भी सीधे भारत को मिले। 

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