लोकपाल की अवधारणा को बताएँ एवं लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अंतर्गत लोकपाल को प्रदत्त जाँच-संबंधी अधिकारिता को स्पष्ट करते हुए प्रधानमंत्री को प्राप्त रक्षोपाय का उल्लेख करें।
26 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा
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लोकपाल की अवधारणा
स्वच्छ और उत्तरदायी शासन हेतु सरकारी प्रतिबद्धता के साथ भ्रष्टाचार को रोकने एवं दंडित करने वाले प्रभावी निकाय के रूप में लोकपाल की कल्पना की गई है। यद्यपि विश्व के विभिन्न देशों में लोक शिकायतों के निवारण एवं भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कई प्रकार की युक्तियाँ सृजित की गई हैं, जैसे- प्रशासनिक न्याय प्रणाली, ओम्बुड्समैन प्रणाली और प्रोक्यूरेटर प्रणाली। किंतु ओम्बुड्समैन या लोकपाल प्रणाली सबसे पुरानी संस्था है, जिसकी शुरुआत स्केंडिनेवियाई देशों में हुई थी। प्रसिद्ध ओम्बुड्समैन विद्वान डोनल्ड सी. रॉबर्ट के शब्दों में लोकपाल “नागरिकों की अन्यायपूर्ण प्रशासनिक कार्रवाइयों के खिलाफ परिवादों को दूर करने के लिये विलक्षण रूप से उपयुक्त संस्था है।”
भारत में भी इसी तर्ज़ पर लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अंतर्गत सार्वजनिक पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के शिकायतों की जाँच करने हेतु संघ के लिये लोकपाल एवं राज्यों के लिये लोकायुक्त की स्थापना करने का उपबंध है।
जाँच के संबंध में अधिकारिता
लोकपाल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 के अधीन दंडनीय ऐसे किसी अपराध की जाँच के लिये एक टीम गठित कर सकता है, जिसके बारे में यह शिकायत है कि उसे लोकसेवक द्वारा किया गया है। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अंतर्गत लोकपाल को निम्लिखित जाँच-संबंधी अधिकारिता प्राप्त है-
लोकपाल वर्तमान प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों, संसद सदस्यों, केन्द्रीय सरकार के समूह क, समूह ख, समूह ग और समूह घ के अधिकारियों और अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध शिकायतों की जाँच कर सकता है।
प्रधानमंत्री को प्राप्त रक्षोपाय
प्रधानमंत्री के मामलें में एक विशेष रक्षोपाय का उल्लेख किया गया है। इसके तहत यह व्यवस्था की गई है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंध, बाह्य और आंतरिक सुरक्षा, लोक व्यवस्था, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष से संबंधित शिकायतों के मामलें में जाँच नहीं की जाएगी। इन विषयों के अतिरिक्त प्रधानमंत्री के विरुद्ध तब तक जाँच आरंभ नहीं की जाएगी, जब तक कि अध्यक्ष सहित लोकपाल के सदस्यों से बनी पूर्ण न्यायपीठ द्वारा दो-तिहाई सदस्यों के जाँच के पक्ष में समर्थन देने के पश्चात ही जाँच प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
लोकपाल निश्चित रूप से लोक शिकायत और भ्रष्टाचार को रोकने हेतु महत्त्वपूर्ण हथियार है, लेकिन न्यायपलिका को पूर्ण रूप से लोकपाल के दायरे से बाहर रखने को विशेषज्ञों द्वारा एक सीमा के रूप में गिना जा रहा है। फिर भी व्हिसल ब्लोअर की सुरक्षा, न्यायिक जवाबदेहिता और सिटीज़न चार्टर और राजनीतिक इच्छाशक्ति आदि के माध्यम से इस अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन संभव होगा।