वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में लाए जाने के लिये कई महिला समूहों का दबाव बढ़ा है। इस संबंध में समालोचनात्मक टिप्पणी करें।
09 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
उत्तर की रूपरेखा –
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हाल ही के वर्षों में पूरे विश्व में यौन हिंसा गंभीर बहस और विवाद का विषय रही है। सामान्य तौर पर वैवाहिक बलात्कार इस बहस से अछूता रह जाता है। परंतु कुछ दिनों से यह एक विवाद का कारण बन गया है। यह विवाद वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल करने को लेकर है। इससे संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इसे एक दंडनीय अपराध बनाया जाए या यथास्थिति को जारी रखा जाए।
वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल किये जाने के पक्ष में तर्क-
वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल किये जाने के विपक्ष में तर्क-
दिल्ली उच्च न्यायालय में सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ‘मैरिटल रेप’ को अपराध करार दिये जाने से विवाह संस्था अस्थिर हो जाएगी। भारतीय समाज में परिवार की बहुत महत्ता है। इस तरह के कानून उन समाजों में स्वीकार्य हो सकते हैं जहाँ परिवार की कोई अहमियत न हो। हमारा अनुभव है कि दहेज़ और घरेलू हिंसा के कानूनों का बहुत दुरुपयोग हुआ है। वर्तमान महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का कहना है कि मौजूदा घरेलू हिंसा कानून के तहत महिलाएँ वैवाहिक बलात्कार की शिकायत कर सकती हैं। इस बात पर संदेह है कि नया कानून बन जाने पर भी महिलाएँ ऐसे मामलों की शिकायत करेंगी। वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित कर समूचे भारतीय समाज और विवाह संस्था की नींव कमज़ोर करने से बेहतर विकल्प यह है कि मौजूदा कानून का पूरी सामर्थ्य के साथ इस्तेमाल किया जाए।