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प्रश्न :
लोकतांत्रिक राजनीति में दबाव समूहों का औचित्य क्या प्रश्नगत है? उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से जांच करें।
11 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- दबाव समूह की परिभाषा।
- लोकतंत्र में इनकी भूमिका को लिखें।
- दबाव समूहों द्वारा उत्पन्न कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों का उल्लेख करें।
- निष्कर्ष
दबाव समूह ऐसे हित समूह हैं जो सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके कुछ विशेष हितों को सुरक्षित करने के लिये काम करते हैं। वे किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं, परंतु ये शक्तिशाली समूह होते हैं।
लोकतंत्र में दबाव समूहों की भूमिका-
- दबाव समूह विभिन्न समुदायों की मांगों और हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसलिये भारत जैसे एक बहुलवादी राष्ट्र के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। ये लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करते हैं।
- दबाव समूह मतदाताओं को शिक्षित और सूचित भी करते हैं और इस प्रकार वे राजनीतिक शिक्षा को बढ़ावा देते हैं।
- लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिये सामाजिक परिवर्तन के उद्देश्य को प्राप्त करने में दबाव समूह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- दबाव समूहों के माध्यम से नीति-निर्माताओं को यह पता चलता है कि कैसे कुछ विशेष मुद्दों पर जनता क्या अनुभव करती है।
- कई आदिवासी समूहों ने जनजातीय आबादी के शोषण के खिलाफ आंदोलन की अगुआई की है और सरकार को विवश किया है कि वो इनके अधिकारों की सुरक्षा हेतु प्रावधान करे, उदाहरण के लिये विभिन्न प्रादेशिक वन नीतियाँ और वन अधिकार अधिनियम- 2006।
इन समूहों ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर कभी-कभी देश के समक्ष प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी उत्पन्न की हैं-
- भारत में कई दबाव समूह मुख्य रूप से विभिन्न असंवैधानिक पद्धतियों के माध्यम से सरकार को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं, जैसे हमले, आंदोलन, प्रदर्शन, तालाबंदी आदि के द्वारा।
- कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मामले में सुरक्षा को मुद्दा बनाकर प्रचार किया गया और लोगों को एकजुट करके बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए थे। इस तरह के विरोध विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं।
- सामाजिक-राजनीतिक समस्याओं को सड़क पर हल करने की प्रवृत्ति के कारण दबाव समूहों को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये एक गंभीर खतरा माना जा सकता है।
इन सभी आलोचनाओं के बावजूद दबाव समूहों का अस्तित्व लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये अनिवार्य है। दबाव समूह राष्ट्रीय और विशेष हितों को बढ़ावा देते हैं तथा नागरिकों एवं सरकार के बीच संवाद का एक ज़रिया बनते हैं।
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