राजनीतिक दलों को सार्वजनिक निकाय घोषित किये जाने के पक्ष और विपक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की भूमिका के बारे में संक्षिप्त विवरण दें।
- राजनीतिक दलों को सार्वजनिक निकाय घोषित किये जाने के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।
- इसके विपक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।
- निष्कर्ष
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लोकतंत्र के मूलभूत उपकरण होने के नाते राजनीतिक दल, नीति-निर्माण व सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसलिये वे शासन व्यवस्था के अनिवार्य अंग हैं। सुशासन के लिये यह बहुत ज़रूरी है कि राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता हो, विशेष रूप से वित्तीय पारदर्शिता। यह तभी संभव है, जब राजनीतिक दल अपने काम में पारदर्शिता, आंतरिक लोकतंत्र को मज़बूत कर जवाबदेहिता लाएँगे| इस संबंध में राजनीतिक दलों को सार्वजनिक निकाय घोषित किये जाने को लेकर काफी समय से विमर्श जारी है। उच्चतम न्यायालय, केंद्रीय सतर्कता आयोग व चुनाव आयोग सरकार और राजनीतिक दलों से इस विषय पर उनका मत जानने का प्रयास कर चुके हैं।
राजनीतिक दलों को सार्वजनिक निकाय घोषित किये जाने के पक्ष में तर्क
- राजनीतिक दलों को RTI के अंतर्गत लाया जा सकेगा और सार्वजनिक निकाय घोषित किये जाने से देश की राजनीतिक व्यवस्था की पारदर्शिता में वृद्धि होगी। राजनीतिक दल सरकार के गठन से लेकर नीतियों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, अतः उन्हें अपने काम-काज़ में पारदर्शी होना चाहिये।
- देश के नेताओं को आम नागरिकों द्वारा चुना जाता है, अतः नेताओं को देश के नागरिकों के प्रति जवाबदेह बनाना आवश्यक है।
- भारत में चुनावों में दलों द्वारा भारी-भरकम धन खर्च किया जाता है। इन दलों को सार्वजनिक निकाय घोषित कर देने से इनके धनोपार्जन पर निगरानी रखी जा सकेगी।
- पारदर्शिता बढ़ने से राजनीतिक दलों पर अच्छे उम्मीदवार खड़ा करने का दबाव बढ़ेगा।
- इससे राजनीति में काले धन के उपयोग पर रोक लगेगी। जनता इन दलों के धन का स्रोत जान सकेगी।
राजनीतिक दलों को सार्वजनिक निकाय घोषित किये जाने के विपक्ष में तर्क
- इससे सरकार की सहज आंतरिक कार्यप्रणाली में बाधा आएगी। एक संभावना यह भी है कि विरोधी पार्टियों द्वारा RTI अधिनियम का दुरुपयोग कर सरकार के काम को बाधित किया जाए।
- राजनीतिक दलों और सरकार के काम में गोपनीयता बरती जानी चाहिये, क्योंकि RTI से मांगी गई जानकारी का दुरुपयोग कर राष्ट्रीय नेताओं और राजनीतिक दलों की छवि को ख़राब किया जा सकता है।
- सार्वजनिक निकाय के रूप में घोषित किये जाने पर राजनीतिक दलों की आंतरिक कार्य प्रणाली और निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया प्रभावित होगी।
पारदर्शिता और जवाबदेही आज के समय की ज़रूरत हैं। राजनीतिक दलों को सार्वजनिक निकाय घोषित करने से भारत को भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ पाना संभव हो सकेगा।