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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    पेसा (PESA) अधिनियम को लागू हुए पर्याप्त समय बीत चुका है। इस अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये क्या सुधार किये जा सकते हैं? टिप्पणी करें।

    13 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • पेसा अधिनियम का संक्षिप्त परिचय दें। 
    • इसे और प्रभावी बनाने के उपाय लिखें।
    • निष्कर्ष

    संसद ने 5वीं अनुसूची में शामिल जनजातीय और पर्वतीय क्षेत्रों पर पंचायतों से संबंधित उपबंधों का विस्तार करने के लिये 1996 में पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम पारित किया था। इस अधिनियम के अंतर्गत निचले स्तर पर ग्राम सभा को सबसे मूल इकाई माना गया है और इसे लोगों की परंपराओं, रिवाज़ों, सांस्कृतिक पहचान तथा समुदाय के संसाधनों की रक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई है। इसमें लघु वनोपज का स्वामित्व, गाँव-बाज़ारों का प्रबंधन, स्थानीय योजनाओं व संसाधनों पर नियंत्रण करने और स्थानीय विवादों को निपटाने की शक्ति ग्राम सभा को दी गई है।

    पेसा अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाने के उपाय- 

    • ग्राम सभा को केवल प्रशासनिक शक्तियाँ ही नहीं, बल्कि वित्तीय शक्तियाँ भी हस्तांतरित कर उन्हें सच में सशक्त बनाए जाने की ज़रूरत है।
    • लोगों को इस अधिनियम और इसमें अंतर्विष्ट उनके अधिकारों की जानकारी प्रदान की जानी चाहिये। इस संबंध में उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
    • वन अधिनियम, भूमि अधिग्रहण अधिनियम आदि पेसा अधिनियम के संगत नहीं हैं। इनमें संशोधन की आवश्यकता है, ताकि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा को लघु वनोपजों, जल निकायों और भूमि संसाधनों का सही मायने में स्वामित्व प्रदान किया जा सके। 
    • एक मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है, ताकि नागरिकों की आवश्यकता के अनुरूप इस अधिनियम को लागू किया जा सके। 
    • ग्राम सभा और पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
    • अनुसूचित क्षेत्रों वाले राज्यों के लिये पेसा के अंतर्गत विकास संबंधी योजनाएँ बनाते समय पंचायती राज मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। 

    पेसा का उचित कार्यान्वयन जनजातीय लोगों के अधिकारों को मान्यता प्रदान करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस अधिनियम में जनजातीय क्षेत्रों में सुशासन स्थापित करने की क्षमता है। राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो यह अधिनियम जनजातीय लोगों के जीवन में गुणात्मक परिवर्तन ला सकता है।

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