केस अध्ययन : आप एसपी के रूप में कार्यरत हैं। आपके एक दोस्त, जो हाल में कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, अपनी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिये जाने जाते हैं। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री के साथ आपके दोस्त के अच्छे संबंध हैं। आपके दोस्त और मंत्री ने अपरिहार्य स्थिति के कारण एक उद्योगपति को विशेष सुविधाएँ प्रदान कीं और नियमों का उल्लंघन किया। कुछ समय बाद एक मीडिया चैनल द्वारा किये गए स्टिंग ऑपरेशन में यह मामला जनता के सामने आ जाता है। आपको जाँच अधिकारी नियुक्त किया जाता है। कोर्ट द्वारा इनके विरुद्ध समन जारी किया जाता है। इस समन का विरोध आपके दोस्त के कई साथी करते हैं और खुले तौर पर आपके दोस्त का समर्थन करते हैं तथा इसे राजनीतिक साजिश करार देते हैं। प्रश्न (क) : इस स्थिति में आपका क्या रुख होगा? प्रश्न (ख) : क्या ‘कानून का बंकन’ और ‘कानून का उल्लंघन’ में कोई अंतर है? क्या ये दोनों अनैतिक हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
08 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़(क) : एक जाँच अधिकारी होने के नाते मेरा यह कर्त्तव्य है कि मैं ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ, पक्षपात रहित जाँच करूं। यद्यपि मेरे दोस्त का सर्विस रिकॉर्ड हमेशा से ही उच्च नैतिक मूल्यों के अनुरूप रहा है। शायद विशिष्ट परिस्थितियाँ ही रही होंगी जिसके कारण उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया हो किंतु एक सिविल सेवक के लिये आवश्यक है कि वह सार्वजनिक और निजी संबंधों में दबावों का बेहतर प्रबंधन करे। किसी भी स्थिति में, किसी कानून के विपरीत जाकर कार्य करना सिविल सेवा के कॉड ऑफ कंडक्ट के विरुद्ध है। अतः मैं दोस्त के पक्ष में न जाकर प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करूंगा और उसे न्यायालय में जमा कराऊंगा।
(ख) : ‘कानून का बंकन’ से तात्पर्य है, कानून में मौजूद खामियों जैसे- भाषागत, इसका प्रयोग स्वार्थ सिद्धि के लिये करना, वहीं ‘कानून का उल्लंघन’ प्रत्यक्षतः कानून के विरुद्ध जाकर कार्य करने से है। ये दोनों ही अनैतिक हैं, यद्यपि ‘कानून के बकंन’ में अनैतिकता का स्तर कम हो जाता है। उदाहरणस्वरूप अनेक वकील अपराधियों के बचाव हेतु कानूनी खामियों का सहारा लेते हैं, जो समाज में अन्याय को जन्म देता है। हालाँकि, इन खामियों का प्रयोग कानून का उल्लंघन नहीं, तथापि नैतिकता, कानून की व्यापक अवधारणा है। अतः ये दोनों ही स्थितियाँ अनैतिक मानी जाएंगी।