नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ट्रांसजेंडर कौन होता है? भारत में ट्रांसजेंडर्स के समक्ष आने वाली परेशानियाँ कौन-सी हैं? उच्चतम न्यायालय द्वारा इनके सबंध में दिये गए आदेशों का भी उल्लेख करें।

    16 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • ट्रांसजेंडर की परिभाषा लिखें।
    • उनके समक्ष आने वाली समस्याएँ लिखें।
    • उच्चतम न्यायालय द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय के पक्ष में दिये गए आदेशों को लिखें।
    • निष्कर्ष

    ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति होता है, जो अपने जन्म से निर्धारित लिंग के विपरीत लिंगी की तरह जीवन बिताता है। जब किसी व्यक्ति के जननांगों और मस्तिष्क का विकास उसके जन्म से निर्धारित लिंग के अनुरूप नहीं होता है, महिला यह महसूस करने लगती है कि वह पुरुष है और पुरुष यह महसूस करने लगता है कि वह महिला है। 

    भारत में ट्रांसजेंडर्स के समक्ष आने वाली परशानियाँ- 

    • ट्रांसजेंडर समुदाय को विभिन्न सामाजिक समस्याओं जैसे- बहिष्कार, बेरोज़गारी, शैक्षिक तथा चिकित्सा सुविधाओं की कमी, शादी व बच्चा गोद लेने की समस्या आदि।
    • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मताधिकार 1994 में ही मिल गया था, परंतु उन्हें मतदाता पहचान-पत्र जारी करने का कार्य पुरुष और महिला के प्रश्न में उलझ गया। 
    • इन्हें संपत्ति का अधिकार और बच्चा गोद लेने जैसे कुछ कानूनी अधिकार भी नहीं दिये जाते हैं। 
    • इन्हें समाज द्वारा अक्सर परित्यक्त कर दिया जाता है, जिससे ये मानव तस्करी के आसानी से शिकार बन जाते हैं। 
    • अस्पतालों और थानों में भी इनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। 

    उच्चतम न्यायालय द्वारा ट्रांसजेंडर्स के पक्ष में दिये गए महत्त्वपूर्ण आदेश निम्नलिखित हैं-

    • उच्चतम न्यायालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा स्वयं अपना लिंग निर्धारित किये जाने के अधिकार को सही ठहराया था तथा केंद्र और राज्य सरकारों को पुरुष, महिला या थर्ड जेंडर के रूप में उनकी लैंगिक पहचान को कानूनी मान्यता प्रदान करने का निर्देश दिया था।
    • न्यायालय ने यह भी निर्णय दिया कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश और नौकरियों में आरक्षण प्रदान किया जाएगा, क्योंकि उन्हें सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग माना जाता है। 
    • उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकारों को थर्ड जेंडर समुदाय के लिये समाज कल्याण योजनाएँ और इस सामाजिक कलंक को मिटाने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया था। 

    विधायिका ने भी ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2016 के माध्यम से इनके अधिकारों की रक्षा और इनकी स्थिति में सुधार के लिये प्रयास किया है। कोच्चि मेट्रो ने हाल ही में ट्रांसजेंडर समुदाय के 23 लोगों को नियमित कर्मचारी के रूप में नौकरी दी है। शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और कानूनी अधिकारों की प्राप्ति आदि सभी मोर्चों पर ट्रांसजेंडर्स के लिये कारगर कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow