भारतीय जेलों में सुधार की आवश्यकता क्यों है ? जेलों में सुधार के लिये किये जा सकने वाले उपाय सुझाइये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- जेलों का वास्तविक उद्देश्य संक्षिप्त में लिखें।
- जेल सुधार की आवश्यकता को समझाएँ।
- जेल सुधारों के लिये किये जा सकने वाले उपाय सुझाएँ।
- निष्कर्ष
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जेलों का मुख्य उद्देश्य अपराधियों को सज़ा देना एवं उनके व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन के लिये अवसर देना होता है। साथ ही उन्हें समाज से दूर रखना भी जेलों का एक उद्देश्य है, ताकि वे समाज को नुकसान न पहुँचा सकें।
जेल सुधार की आवश्यकता-
- अक्सर देखा गया है कि अपराधी जेल से निकलने के बाद पुनः अपराध में संलग्न हो जाते हैं। कई छोटे अपराधी बड़े अपराधियों की संगति में बड़े अपराध करने लग जाते हैं।
- इसका कारण जेल की अमानवीय परिस्थितियाँ, उनके साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार तथा समाज की मानसिकता है।
- राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो द्वारा जारी ‘प्रिजन स्टेटिस्टिक्स इंडिया 2015’ में भारत की जेलों की यथास्थिति बताई गई है। कैदियों की अधिक संख्या के कारण उचित भोजन, रहने लायक स्थान, सोने के लिये जगह तथा स्वच्छ माहौल नहीं मिल पाता।
- कुल कैदियों के लगभग 67% मुकदमे विचाराधीन हैं। उन्हें किसी भी अपराध के तहत न्यायालय द्वारा सज़ा नहीं सुनाई गई है।
- कैदियों में लगभग 70% अपराधी निरक्षर या दसवीं तक पढ़े-लिखे हैं।
- भारतीय जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की सामाजिक और धार्मिक पृष्ठभूमि देखें तो ऐसा स्पष्ट दिखता है कि दलित, आदिवासी और मुस्लिम कैदियों का अनुपात कुल जनसंख्या में उनके अनुपात से कहीं ज़्यादा है।
जेल भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य सूची का विषय है। भारत में जेलों का विनियमन साधारणतःजेल अधिनियम, 1894 के द्वारा होता है। विभिन्न राज्यों के जेल मैन्युअल भी इस मामले में महत्त्वपूर्ण हैं।
जेल सुधार हेतु उपाय-
- समझौते (plea bargaining) को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- CrPC की धारा 436 A के अनुसार जो विचाराधीन कैदी अपनी अधिकतम सज़ा का आधा समय जेल में गुज़ार चुके हों, उन्हें निजी बॉण्ड पर छोड़ देना चाहिये।
- किसान कैदियों अस्थायी रूप से खेती करने का समय दिया जाए।
- अपराध की गंभीरता व सुनवाई के आधार पर कैदियों का वर्गीकरण किया जाए।
- जेलों में कैदियों के कौशल विकास की व्यवस्था की जाए, ताकि बाहर निकलने के बाद उन्हें आजीविका संबंधी समस्या का सामना न करना पड़े।
- जेल अधिनियम में उचित संशोधन किये जाएँ।
- महिला कैदियों के अतिरिक्त प्रावधान किये जाएँ।
- कैदियों के सुधार के लिये एक बोर्ड बनाया जाना चाहिये जिसमें समाज के प्रबुद्ध लोगों को शामिल किया जाए जो मॉडल जेल मैन्युअल को लागू कराए और कैदियों के सुधार में सहयोग करें।
व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह असल में एक मानवीय मसला है। विचाराधीन कैदियों में ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो बेगुनाह हों। फिर, उनमें ऐसे लोग भी होते हैं जो अपने ऊपर लगे अभियोग की संभावित सज़ा से ज़्यादा समय जेल में गुज़ार चुके होते हैं। न्याय का शासन वास्तविक रूप में स्थापित करने के लिये जेल सुधार समय की मांग है।